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Tuesday, 3 March 2020

★ कर्ज़ ★ (कविता) - अलका 'सोनी'

★ कर्ज़ ★
(कविता)
मां की ममता का बेटा
कर्ज़ चुका क्या पाएगा

रखा था जैसे मां ने
क्या उसको वो रख पाएगा

मां ने तो अपनी रोटी बांटी
कितनी रातों की नींदें छोड़ी

बेटों ने दो रोटी की खातिर
उसको ठोकर खाने छोड़ी

जिसने जन्म दिया है तुमको
एहसान उसका न लौटा पाएगा

मां के लहू का कोई बेटा
कर्ज़ न कभी चुका पाएगा।
-०-
अलका 'सोनी'
बर्नपुर- मधुपुर (झारखंड)

-०-

***
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2 comments:

  1. रचना को प्रकाशित करने के लिए हार्दिक आभार....💐

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  2. बहुत ही सरल-सुबोध भाषा में भारतीय पारिवारिक एवम सामाजिक कटु परिवेश का सच्चा चित्र खींचा गया है।बहुत-बहुत आशीर्वाद एवम बधाई!

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