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Tuesday, 3 March 2020

★सच कहूँ, हाँ! एक पिता है वो★ (कविता) - अमन न्याती

★सच कहूँ, हाँ! एक पिता है वो★ 
(कविता)
प्यास बुझाता इक़ दरिया,
राहगीर की मंजिल का इक़ जरिया है वो,
मानो ना मानो इस जहाँ में इक़ खुदा है वो,
सच कहूँ..!!  हाँ एक पिता है वो।।

एक चिन्ता जो उसे हर दम सताती है,
बयाँ ना भी करे ,आंखे बताती है।
अपने टुकड़े को हरदम महफूज रखता है वो,
बस इसी कशमकश खुदा से भी लड़ पड़ता है वो,
सच कहता हूँ यार ..!! हाँ एक पिता ही है वो।।

इक़ रिश्ता उनसे कुछ खास है,
अनोखी सी उनमे इक़ बात है,
शायद तुम्हे पता नही खुदा है वो,
या फिर सच कहूँ.!!
तो उस खुदा से भी बढ़कर एक पिता है वो।।
-०-
पता :
अमन न्याती
चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)

-०-

***
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21 comments:

  1. पिता की मासूमियत के राज़ वो ख़ुदा ही खोल पाएगा,
    हम उस सक्सियत की बात कर रहे है,
    जो बेशुमार ख़ुशी हो चाहे, दिल चीरने सा गम,
    कभी बोल ही नहीं पाएगा....
    अमन की क्या ख़ूब लिखा है आपने...

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर है कविता ! आप को बहुत बहुत बधाई है आदउणीय।

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  3. Super se bhi uper...👌👌👍

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  4. This comment has been removed by the author.

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  5. Atul agnihotri3 March 2020 at 09:19

    बहुत शानदार कविता है अमन जी।।।♥️♥️♥️��

    ReplyDelete
  6. Very Nice Aman...Keep It Up������

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