(कविता)
आंसू आंसू रहा वर्ष ये
आशा है नव वर्ष हर्ष हो
रोते-रोते बीस गया
डरते डरते शीत गया
रोजी और रोजगार गया
अब तो कुछ नूतन विमर्श हो
आशा है नव वर्ष हर्ष हो
हाट हुए सारे रीते
उदघाटन सब बिन फीते
सन्नाटे ही थे जीते
अब जो हो वो सब सहर्ष हो
आशा है नव वर्ष हर्ष हो
समय जैसे थम सा गया
लहू जैसे जम सा गया
लगता है दुःख कम सा गया
जन जन में जैसे अमर्श हो
आशा है नव वर्ष हर्ष हो
-०-
पता:
वाह! अति सुन्दर, हार्दिक हार्दिक बधाई है शर सुन्दर रचना के लिये।
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