ओ नये बर्ष के प्रथम दिवस!
स्वागत है अभिनंदन है।
ले उषाकाल में रश्मि कलश।
आ नूतनता लेकर वापस।
फिर जोड़ नया अध्याय कोई।
इस सृष्टि चक्र के आवर्तन में,
ओ नये बर्ष के प्रथम दिवस!
स्वागत है अभिनंदन है।
विगत हुआ धुँधला- धुँधला।
आ नूतन मारुत से सहला।
है नीरस- सा ठहराव कोई।
सुख छुपा सदा परिवर्तन में।
ओ नये बर्ष के प्रथम दिवस!
स्वागत है अभिनंदन है।
नवता का लोलुप मानव मन।
कुछ सँवरा दे प्रकृति का तन।
हो रुष्ट नहीं गत बर्ष कोई,
उन्नति आगत के संवर्तन में।
ओ नये बर्ष के प्रथम दिवस!
स्वागत है अभिनंदन है।
-०-
अंकित शर्मा 'इषुप्रिय'
मुरैना(म.प्र.)
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