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Friday, 1 January 2021

*कामयाब* (कविता) - दिनेंद्र दास

   

*कामयाब* 
(लघुकथा)

       एक युवक ने मुझसे कहा, " साहेब जी! आप मुझे कामयाबी होने का रहस्य बताइए?"    

        वह मेरा पूर्व परिचित था। मैंने उनके ऊपर दृष्टि डाली और एक मिनट चिंतन किया, फिर बोला, " आपको एक छोटी सी कुर्बानी देनी होगी। यदि आप यह कुर्बानी दे सकते हैं तो निश्चित रूप से आप शिखर पर पहुंच जाएंगे ।"

      युवक ने कहा, " बताइए महाराज जी! मैं कौन सी कुर्बानी दूं? आपकी आज्ञा शिरोधार्य है ।"

      उस व्यक्ति को सबसे ज्यादा अपनी मूंछ प्यारी थी। यह बात मैं जानता था। वह हमेशा मूंछ पर ताव देते हुए कहता रहता कि मेरी मूंछ में इतनी शक्ति है कि कोई मुझे पछाड़ नहीं सकता। अपने मूंछ पर मुझे बड़ा गर्व है। वह अपनी मूंछ को दिलों जान से चाहता था । उसकी मूंछ की कोई बढ़ाई करें तो वह फूला नहीं समाता था। वह कहता था, "बिना मूंछ का मर्द ,जैसे बाना बर्द । अर्थात बिना मूंछ का पुरुष बिना पूंछ के बैल के समान है।"

       मैंने उससे कहा, "आपको छोटी सी कुर्बानी देनी होगी। मूंछ कटवाना होगा। जैसे ही युवक ने मूंछ कटाने की बात सुनी तो वह आग बबूला हो गया और क्रोधित होकर मुझसे कहा, " आपने क्या मांग दिया साहेब! यह मेरा श्रृंगार है। मैं सब कुछ दे सकता हूं पर ...अपनी मूंछ नहीं दे सकता। दुनिया में मेरी सबसे पसंदीदा वस्तु कोई है... तो वह है मेरी मूंछ ! मैंने इसे बहुत वर्षों से संवारा है, संभाला है । मैं इसे कतई कटवा नहीं सकता।"

         मैंने कहा, " आप जीवन में कामयाबी हासिल करना चाहते हैं, शिखर पर पहुंचना चाहते हैं ,जिंदगी में सफल होना चाहते हैं। परंतु छोटी सी मूंछ की कुर्बानी नहीं दे सकते ?जो मूंछ आज कटने के बाद कल पुनः वापस आ सकती है। जिंदगी में बड़ा काम करना है, सफलता प्राप्त करना है तो छोटी चीजों का त्याग करना होगा । वह है आपका अहंकार! अहंकार को त्यागे बिना आप आगे नहीं बढ़ सकते। मुझे आपके मूंछ से कोई लेना- देना नहीं है।मैं तो आपके उज्जवल भविष्य की शुभ कामना करता हूं।"

      युवक को मेरी बातें उनके दिलों दिमाग में बैठ गई और अपनी लंबी मूंछ कटवा ली । गलत लड़कों की संगति गुंडागर्दी, दादागिरी छोड़ दी शराब, मांस एवं अन्य नशीली वस्तुओं का त्याग किया और साधु संतों एवं सज्जनों की संगति की। विनम्र होकर मन से डटकर पढ़ाई की और पी.एस.सी. उत्तीर्ण कर अपने शिखर तक पहुंचा। अपने जीवन में कामयाब होकर पी.एस.सी. अधिकारी कलेक्टर बने। 

-०- 
पता 
दिनेंद्र दास
बालोद (छत्तीसगढ़)

-०-



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