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Friday, 1 January 2021

बीत गया जो (ग़ज़ल) - रूपेश कुमार

  

बीत गया जो
(ग़ज़ल)
बीत गया जो पल उसे भूल जाते है ,
आने वाले कल का जश्न मनाते है ,

अरमान है दिल मे पुड़ी और मीठाई का ,
पर सुखी रोटी पर संतोष कीए जाते है ,

मिले खुशबू बेली और चमेली का ,
पर रजनीगंधा की ओर बढे जाते है ,

हम जानते है प्रेम एक मर्ज हुआ करता है ,
फिर देवदास की तरह शराब पिये जाते है ,

कुछ गलतिया हम जानकर ही करते है ,
फिर भी गलतियो पे पश्चाप कीये जाते है ,

हम आशा और उम्मीद पर समाज बदलते है ,
पर देखते ही सबकुछ बदल जाते है ,

कल रो रहे थे 'रूपेश' गुजरे हूए ज़माने पर ,
आज नववर्ष पर उल्लास मनाये जाते है !
-०-
पता:
रूपेश कुमार
चैनपुर,सीवान बिहार
-०-


***
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