हम लड़कियां हैं, साहिब
(कविता)
हम लड़कियां हैं, साहिब
हमें बहुत कुछ करना है
हमें कोख मे से बचना है
हमें बहुत कुछ करना है
हमें कोख मे से बचना है
... फिर जन्म भी तो लेना है
हमें पढ़ाई भी है करनी
हमें पढ़ाई भी है करनी
.. चूल्हाचौंका भी तो करना है
हमें करनी है नौकरी भी
हमें करनी है नौकरी भी
... दहेज इकट्ठा भी करना है
हमें दिखना है माडर्न
हमें दिखना है माडर्न
... लेकिन हिजाब भी पहनना है
हमें जाना है सड़कों पर
हमें जाना है सड़कों पर
... खुद को महफूज रखना है
फिर मनचले आशिकों से
फिर मनचले आशिकों से
... छुप कर भी निकलना है
आ गई पकड़ में उनकी
आ गई पकड़ में उनकी
... फिर दर्द भी तो सहना है
उन कुछ क्षणों में फिर
उन कुछ क्षणों में फिर
... तिल-तिल के भी मरना है
हां.. हम लड़कियां है, साहिब
हमें बहुत कुछ करना है..
हमें बहुत कुछ करना है...!!
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हां.. हम लड़कियां है, साहिब
हमें बहुत कुछ करना है..
हमें बहुत कुछ करना है...!!
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पता -
वरदान जिंदल
लुधियाना (पंजाब)
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