सेवा कर ले
(गीत )
सेवा करले सेवा करना ,
तो बेकार नहीं होता है ।
कभी दिखावा करने वाले ,
का उद्धार नहीं होता है।।
तड़क भड़क में खर्च किया जो,
काम बहुत आया है सच है ।
और जरूरत मंदों ने भी ,
सुकूं बहुत पाया है सच है ।।
मगर दिखावे की बू उसमें ,
पगपग पर नुकसान करेगी ।
फल पाने की उम्मीदें भी ,
देखेगा बेमौत मारेगी ।।
रब के साथ दिखावे का तो ,
सुन व्यापार नहीं होता है ।
कभी दिखावा करने वाले ,
का उद्धार नहीं होता है ।।
एक हाथ जब मदद करें तो ,
हाथ दूसरा जान न पाये ।
हमें सिखाया यही गया है ,
पास कभी ना शैतां आये।।
आत्म प्रशंसा दुर्गुण है हम ,
इसको जब तक नहीं छोड़ते ।
सिर्फ थकेंगे नहीं मिलेगा ,
कुछ भी चाहे रहें दौड़ते ।।
मनमानी अपनी करना क्या,
अत्याचार नहीं होता है ।
कभी दिखावा करने वाले ,
का उद्धार नहीं होता है ।।
कथनी और करनी के अंतर ,
से पर्दा जब उठ जाएगा ।
वसन विहीन बदन होगा तो ,
कोई पास नहीं आएगा ।।
बुरा लगे अभिमान खुदा को,
मत खरीद उसकी नाराजी।
विपदाओं में फंस ना जाए ,
हार न जाए जीती बाजी ।।
धनुष रहे कमजोर दूर तक ,
उसका वार नहीं होता है ।
कभी दिखावा करने वाले ,
का उद्धार नहीं होता है ।।
वो देता तब तू देता है ,
इसमें कहा बढ़ाई तेरी ।
उसकी ताकत पर्वत चढ़ती ,
इसमें कहाँ चढ़ाई तेरी ।।
शर्म तुझे क्या कभी न आई,
कोई जब दाता कहता है ।
तेरे एहसानों के बदले ,
कोई झुका झुका रहता है ।।
खुदा मानना खुद को रब से ,
सच्चा प्यार नहीं होता है ।
कभी दिखावा करने वाले ,
का उद्धार नहीं होता है ।।
"अनंत" उसकी ताकत को तू,
समझ न कम नादानी है ये ।
नहीं जानता क्या तू रब की,
पगले नाफरमानी है ये ।।
नेकी करें कुए में डालें ,
संतों का फरमान यही है ।
गुणीजनों से चलाआ रहा ,
हमने सीखा ज्ञान यही है ।।
महाजनों के पथ पर चलना ,
तो निस्सार नहीं होता है ।
कभी दिखावा करने वाले ,
का उद्धार नहीं होता है ।।-0-
अख्तर अली शाह 'अनन्त'
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