दिन बिता जाए
(कविता)
सपनों के पंख लगा कर ,
मन आशाओं के आंगन में
देखो उड़ उड़ जाए रे,...
मंद मंद मुस्काता आए
दिन ये बीता जाए रे, ...
देखो उड़ उड़ जाए रे,...
मंद मंद मुस्काता आए
दिन ये बीता जाए रे, ...
इच्छाओं का नया सवेरा,
देख हृदय मुस्काए रे,....
ठहर ठहर सोचुं पल पल,
जाने तुम कब आओगे,
क्षण क्षण बीता जाए रे....
नाचती दीप शिखाएं,
अँधियारा दूर भगाएं रे...
अाह्लादित है समय भी देखो,
जाने क्या समझाए ,
दिन ये बीता जाए रे...
सूर्य किरण के रथ पर चढ़,
नव प्रभात आ जाए रे,
चौखट से झांके अंदर,
खुशीयों को गलें लगाए ,
नववर्ष खड़ा हर्षाए रे...
सपनो के पंख लगा कर,
दिन बीता जाए रे...
-०-
देख हृदय मुस्काए रे,....
ठहर ठहर सोचुं पल पल,
जाने तुम कब आओगे,
क्षण क्षण बीता जाए रे....
नाचती दीप शिखाएं,
अँधियारा दूर भगाएं रे...
अाह्लादित है समय भी देखो,
जाने क्या समझाए ,
दिन ये बीता जाए रे...
सूर्य किरण के रथ पर चढ़,
नव प्रभात आ जाए रे,
चौखट से झांके अंदर,
खुशीयों को गलें लगाए ,
नववर्ष खड़ा हर्षाए रे...
सपनो के पंख लगा कर,
दिन बीता जाए रे...
-०-
पता:
पटना (बिहार)
-०-
***
मुख्यपृष्ठ पर जाने के लिए चित्र पर क्लिक करें
No comments:
Post a Comment