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Tuesday 17 November 2020

नमस्ते बाइडेन, बाय-बाय ट्रम्प (व्यंग्य आलेख) - आशीष तिवारी निर्मल

नमस्ते बाइडेन, बाय-बाय ट्रम्प

(व्यंग्य आलेख)
जी हाँ!
एक दम सही पढ़ा आपने
दुनिया के सर्व शक्तिशाली शख्स का तमगा अपनी छाती पर लादकर बाइडेन अब व्हाइट हाउस की गद्दी में बैठने जा रहे हैं।सर्वशक्तिशाली देशों की सूची में ओहदा रखने वाले अमेरिका को नया राष्ट्रपति बाइडेन के रूप में मिल गया है।वैसे अमेरिका के नये राष्ट्रपति के समक्ष चुनौतियां भी कम नहीं होंगी जब दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है और इसका सबसे ज्यादा शिकार अमेरिका ही हुआ है,,अमेरिका जैसे देश की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल है, लाखों लोग बेरोजगार हैं।ऐसे में देखना यह भी होगा कि इन सभी हालातों से बाइडेन कैसे निबटते हैं।बहरहाल उगते सूरज को सलाम करने की हमारी सनातनी परम्परा रही है और आगे भी रहेगी।हमारे हिन्दुस्तान में उगते सूरज को सलाम करने के लिए इस समय देश की महनीय कुर्सी पर दो गुजराती भाऊ बैठे हैं और गुजराती भाऊ बिजनेस और रिश्ते बनाने के मामले में अन्य भारतीयों की तुलना में अधिक निपुण होते हैं ।ये गुजराती भाऊ कुछ करें ना करें लेकिन वह दिन दूर नहीं जब अमेरिका के नये राष्ट्रपति बाइडेन से अपना कोई ना कोई पुराना दोस्ती,यारी का रिश्ता अवश्य निकाल लेंगे और फिर शुरू होगा बाइडेन द्वारा भारत और इन दोनों गुजराती भाऊ के तारीफ का सिलसिला। यह भी संभव है कि ये दोनों गुजराती भाऊ अमेरिका के नये राष्ट्रपति को शीघ्र ही भारत दौरे पर ले आएं और उस कार्यक्रम नाम रख दें "नमस्ते बाइडेन" । बाइडेन और उनके साथ अमेरिका से आने वाली अमेरिकी बारात का स्वागत पान पराग से करा दें।फिर शुरू होगा नये अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा इन गुजराती भाऊ के सामने पानी भरने का दौर।
 हालांकि हमारे इन दोनों गुजराती भाऊ का मीडिया मैनेजमेंट इतना सालिड है कि यदि बाइडेन इन दोनों गुजराती भाऊ के सामने एक बाल्टी पानी भरते हैं तो देश की जनता को वह पानी दस बाल्टी बताया जा सकता है। खैर यह तो बात तब की है जब बाइडेन भारत दौरे पर आएंगे अभी तो हम सभी को उनका इंतजार ही है।
इसके पूर्व जो व्हाइट हाउस की गद्दी में जिल्लेइलाही बैठे थे वो झूठ की चलती फिरती दुकान थे वो सत्य को उतना ही नापसंद करते थे जितना पाकिस्तान, हिन्दुस्तान को। ट्रम्प असत्य के प्रति निष्ठावान थे और हैं! ट्रम्प ने झूठ बोलने में कभी कोताही नही बरती चाहे वो भारत दौरे पर ही क्यों ना रहे हों।
ट्रम्प की इस झूठ बोलने की प्रतिभा के आगे हमारे हिन्दुस्तानी नेता पानी भरते थे। इन हिन्दुस्तानी नेताओं को ट्रम्प से प्रेरित होने के लिए ही गुजराती भाऊ लोगों ने ट्रम्प का दौरा भारत के लिए कराया था।बहरहाल भारत के नेता ट्रम्प से क्या कुछ सीख पाए या नही ये तो वक्त ही बताएगा लेकिन अभी तो दुनिया की निगाह बाइडेन पर टिकी हुई है।बाईडेन के बारे में अभी कुछ भी लिखना या बोलना थोड़ा जल्दबाजी कहलाएगी इसलिए बूंद को समंदर समझते हुए मैं बाइडेन को नमस्ते और ट्रम्प को बाय-बाय कह रहा हूँ।
-०-
पता: 
आशीष तिवारी निर्मल 
रीवा (मध्यप्रदेश)
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इंसान हो तो ईमान की बात कर (ग़ज़ल) - नरेन्द्र श्रीवास्तव

इंसान हो तो ईमान की बात कर
(ग़ज़ल)
इंसान हो तो ईमान की बात कर।
बेवजह इंसान पर यूँ ना घात कर।।

छल,कपट,छीना,झपटी, ये लूटमार।
चैन से सोने देते क्या रातभर ?
 
प्रेम की दौलत से बढ़कर कुछ नहीं।
लो लगी शर्त मेरी इसी बात पर।।

भेद क्या जब खून सब में है एक-सा।
फिर पाल न यूँ मैल दिल को साफ कर।। 

दें वतन को जिन्दगी एकता के नाम पर।
मैं बढ़ाता हाथ तू भी अपना हाथ कर।।
-०-
संपर्क 
नरेन्द्र श्रीवास्तव
नरसिंहपुर (मध्यप्रदेश)  
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बड़े-बड़े बर्तन (लघुकथा) - डॉ.राजेश्वर बुंदेले 'प्रयास'

बड़े-बड़े बर्तन
(लघुकथा)
"आज सुबह से ही मुन्ने को बुखार है "
"किसी डॉक्टर को बताऊँ तो ठीक है परंतु सुबह से एक बूँद,दुध भी नसीब नहीं हुआ इस अभागे को "
"मैं भी कितनी दरिद्र मां हूँ,जो कमजोरी की इतनी गहरी खाई में फंस चुकि हूँ कि एक घूँट दुध भी अपने छाती से निकाल कर दे नहीं सकती अपने लाडले को, ताकि वह अपनी भूख मिटा सकें",
अपने आप को कोसते हुए मंगली बड़बड़ा रही थीं।
सारे शहर में पुनम की इस खास  रात के (कोजागीरी) त्यौहार को मनाने की तैयारियों में लोग हर डेअरी पर मक्खियों की तरह भिनभिना रहे थें। 
आज चाँद के रोशनी में दुध,मूंगफली और नमकीन आदि का स्वाद और मुहल्लें के सभी लोगों का किसी बडी-सी छत पर     इकट्ठा होकर, नाचना-गाना, निश्चित ही इस उत्सव को यादगार बनाने में कोई कसर छोड़ने वाला नहीं था। 
एक तरफ दुध से भरे बड़े- बड़े बर्तनों की चमक और दूसरी ओर एक घूँट दुध का सवाल मन में लिए मंगली एक दुग्धालय पर जा पहुंची।
डेअरी पर पहले से ही  मौजूद लोग जिनके हाथों में बड़े-बड़े बर्तन देख, हाथों का वह छोटा-सा प्याला उसे कमजोर बना रहा था। लोगों की भीड़ में उसकी आवाज का दुधवाले तक पहुंचना लगभग नामुमकिन ही था।  
पर अपने बच्चे की भूख ने उसमें इतनी  हिम्मत भर दी कि उसकी आवाज़ सुनते ही लोगों ने उसे रास्ता बना दिया। 
डेअरी पर खड़े लोगों के बड़े-बड़े बर्तन मंगली के गिलास से बौनें नजर आ रहे थें। 
-०-
डॉ.राजेश्वर बुंदेले 'प्रयास'
अकोला (महाराष्ट्र)
-०-

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तुम जिम्मेदार हो (कविता) - सपना परिहार

 

तुम जिम्मेदार हो
(कविता)
नानी भी अपनी माँ से
सीखी होंगी दबना,झुकना,
नानी से माँ ,तुमने भी सीखा
लड़कियों को सलीक़े में रखना,
ढेर सारी हिदायतों में रखना,,!
न खुल कर मुस्कुराना,
न आत्मविश्वास से चलना,
न किसी को मुँह तोड़ जवाब देना,
क्यों... माँ,,,क्यों...?
क्यों नहीं सिखाया तुमनें
सीना तान के चलना,
पुरुष प्रधान समाज में
सम्मान और हक से जीना,
और,,, सबसे बड़ी बात,
अपने जिस्म को घूरने और
छूने वाले दरिंदे को
उसी समय उसके पुरुष होने का
अभिमान काट गिराने का,
जिसे वो हक समझता है,
किसी भी स्त्री का शील भंग करना,,!
माँ,,, क्यों करे हर बेटी प्रतीक्षा
उसे न्याय मिलने का!
जो कभी समय पर मिलता नहीं,,!
माँ,, बेटी को आज आग बनने दो,!
जिसे छूने की कोई भी करे हिम्मत
तो,,,, झुलस जाए उस अंगार में,
और,,, किसी भी स्त्री को कभी
न छू सके,,,गलत इरादे से,,!
-०-
पता:
सपना परिहार 
उज्जैन (मध्यप्रदेश)

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