Friday, 1 January 2021
नया साल (कविता) - राजीव डोगरा 'विमल'
बीत गया जो (ग़ज़ल) - रूपेश कुमार
(ग़ज़ल)
रूपेश कुमार
नया साल (कविता) - अतुल पाठक 'धैर्य'
पता:
अतुल पाठक 'धैर्य'
जनपद हाथरस (उत्तरप्रदेश)
-०-
अतुल पाठक 'धैर्य' जी की रचनाएं पढ़ने के लिए शीर्षक चित्र पर क्लिक करें!
ओ नये बर्ष (कविता) - अंकित शर्मा 'इषुप्रिय'
अंकित शर्मा 'इषुप्रिय'
मुरैना(म.प्र.)
अंकित शर्मा 'इषुप्रिय'' जी की रचनाएं पढ़ने के लिए शीर्षक चित्र पर क्लिक करें!
*कामयाब* (कविता) - दिनेंद्र दास
एक युवक ने मुझसे कहा, " साहेब जी! आप मुझे कामयाबी होने का रहस्य बताइए?"
वह मेरा पूर्व परिचित था। मैंने उनके ऊपर दृष्टि डाली और एक मिनट चिंतन किया, फिर बोला, " आपको एक छोटी सी कुर्बानी देनी होगी। यदि आप यह कुर्बानी दे सकते हैं तो निश्चित रूप से आप शिखर पर पहुंच जाएंगे ।"
युवक ने कहा, " बताइए महाराज जी! मैं कौन सी कुर्बानी दूं? आपकी आज्ञा शिरोधार्य है ।"
उस व्यक्ति को सबसे ज्यादा अपनी मूंछ प्यारी थी। यह बात मैं जानता था। वह हमेशा मूंछ पर ताव देते हुए कहता रहता कि मेरी मूंछ में इतनी शक्ति है कि कोई मुझे पछाड़ नहीं सकता। अपने मूंछ पर मुझे बड़ा गर्व है। वह अपनी मूंछ को दिलों जान से चाहता था । उसकी मूंछ की कोई बढ़ाई करें तो वह फूला नहीं समाता था। वह कहता था, "बिना मूंछ का मर्द ,जैसे बाना बर्द । अर्थात बिना मूंछ का पुरुष बिना पूंछ के बैल के समान है।"
मैंने उससे कहा, "आपको छोटी सी कुर्बानी देनी होगी। मूंछ कटवाना होगा। जैसे ही युवक ने मूंछ कटाने की बात सुनी तो वह आग बबूला हो गया और क्रोधित होकर मुझसे कहा, " आपने क्या मांग दिया साहेब! यह मेरा श्रृंगार है। मैं सब कुछ दे सकता हूं पर ...अपनी मूंछ नहीं दे सकता। दुनिया में मेरी सबसे पसंदीदा वस्तु कोई है... तो वह है मेरी मूंछ ! मैंने इसे बहुत वर्षों से संवारा है, संभाला है । मैं इसे कतई कटवा नहीं सकता।"
मैंने कहा, " आप जीवन में कामयाबी हासिल करना चाहते हैं, शिखर पर पहुंचना चाहते हैं ,जिंदगी में सफल होना चाहते हैं। परंतु छोटी सी मूंछ की कुर्बानी नहीं दे सकते ?जो मूंछ आज कटने के बाद कल पुनः वापस आ सकती है। जिंदगी में बड़ा काम करना है, सफलता प्राप्त करना है तो छोटी चीजों का त्याग करना होगा । वह है आपका अहंकार! अहंकार को त्यागे बिना आप आगे नहीं बढ़ सकते। मुझे आपके मूंछ से कोई लेना- देना नहीं है।मैं तो आपके उज्जवल भविष्य की शुभ कामना करता हूं।"
युवक को मेरी बातें उनके दिलों दिमाग में बैठ गई और अपनी लंबी मूंछ कटवा ली । गलत लड़कों की संगति गुंडागर्दी, दादागिरी छोड़ दी शराब, मांस एवं अन्य नशीली वस्तुओं का त्याग किया और साधु संतों एवं सज्जनों की संगति की। विनम्र होकर मन से डटकर पढ़ाई की और पी.एस.सी. उत्तीर्ण कर अपने शिखर तक पहुंचा। अपने जीवन में कामयाब होकर पी.एस.सी. अधिकारी कलेक्टर बने।
नव वर्ष अभिनन्दन2021 (कविता) - डॉ. रमेश आनन्द
नव वर्ष हमारा पर्व नहीं (कविता) -रोशन कुमार झा
रोशन कुमार झा जी की रचनाएं पढ़ने के लिए शीर्षक चित्र पर क्लिक करें!
नया साल (कविता) - मईनुदीन कोहरी 'नाचीज'
ईमान की दौलत लेकर नया साल आ रहा है ।।
मुबारक हो वतन के हर खाश-ओ-आम को ।
ढेर सारी खुशियाँ लेकर नया साल आ रहा है ।।
मुल्क की तरक्की के लिए हम सब दुआ करें ।
अमन का पैग़ाम लेकर नया साल आ रहा है ।।
ज़लज़ले-हादसों से हो वतन की हिफाजत।
भाईचारे का पैकर बनकर नया सालआ रहा है।।
हुक्मरानो जरा सोचो ये मुल्क हम सब का है ।
नफरत के बादल छांटने नया साल आ रहा है।।
जन-जन को खुशहाली की ढेरों सौगात मिले।
आवाम की आवाज़ बन नया साल आ रहा है ।।
जमाने भर की बुराइयाँ मुल्क से हो रफा दफ़ा ।
इंसानियत का तौफा बन नया सालआ रहा है।।
मुल्क में जय-जयकार की सदाएं बुलन्द हो।
नूर का उजाला लेकर नया साल आ रहा है ।।
जन-जन नैतिक मूल्यों व् कर्तव्य का पालन करें।
"नाचीज़"हसीन जज्बात ले नया सालआ रहा है।।
-०-
सृजन रचानाएँ
-
▼
2021
(72)
- ► April 2021 (1)
- ► February 2021 (1)
-
▼
January 2021
(60)
-
▼
01 Jan
(8)
- नया साल (कविता) - राजीव डोगरा 'विमल'
- बीत गया जो (ग़ज़ल) - रूपेश कुमार
- नया साल (कविता) - अतुल पाठक 'धैर्य'
- ओ नये बर्ष (कविता) - अंकित शर्मा 'इषुप्रिय'
- *कामयाब* (कविता) - दिनेंद्र दास
- नव वर्ष अभिनन्दन2021 (कविता) - डॉ. रमेश आनन्द
- नव वर्ष हमारा पर्व नहीं (कविता) -रोशन कुमार झा
- नया साल (कविता) - मईनुदीन कोहरी 'नाचीज'
-
▼
01 Jan
(8)
-
►
2020
(982)
- ► December 2020 (71)
- ► November 2020 (72)
- ► October 2020 (86)
- ► September 2020 (61)
- ► August 2020 (89)
- ► April 2020 (77)
- ► March 2020 (113)
- ► February 2020 (116)
- ► January 2020 (211)
-
►
2019
(402)
- ► December 2019 (169)
- ► November 2019 (156)