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Saturday, 15 August 2020

स्वतंत्रता इतिहास हमारा (कविता) - रामगोपाल राही


स्वतंत्रता इतिहास हमारा
(कविता)
उस काल के बुरे हाल की,
 सच्चाई कुछ ऐसी थी |
 अपना देश विदेशी शासन ,
बात यह उलझनजैसी थी ||

 कैसे मिली स्वतंत्र हमको ,
लंम्बी बड़ी कहानी है |
प्रारंभ से संघर्ष अंत तक ,
देश भक्ति कुर्बानी  है ||

 मंगल पांडे देश भक्त ने ,
अँग्रेजों को कँपा दिया |
 फाँसी के फंदे पर लटका ,
मगर देश को जगा दिया ||

चला सिलसिला लिया मोर्चा
 तब झाँसी की रानी ने |
तेजस्वी भारत की नारी,
 दुर्गा वीर भवानी ने ||

स्वतंत्रता के प्रथम युद्ध में ,
महानायक बलिदान हुए |
जागी जनता लिया मोर्चा ,
क्रांति ओर रुझान हुए ||

क्रांति दल ने अलख जगाया ,
मची खलबली भारी थी |
अँग्रेजों को चैन  न पल भर ,
 लहर क्रांति की जारी थी ||

लहर उठी स्वदेश प्रेम की ,
भारत माँ जय कारों से |
जन जागरण वंदे मातरम ,
स्वतंत्रता के नारों से ||

जग्गी चेतना गाँव शहर में ,
प्रातः झंडा गीतों से |
स्वतंत्रता के लिए तराने ,
जोश जगाते गीतों से ||

व्यापारी बन बैठे शासक,
की  उनने गद्दारी थी |
अपने  देश में अपना शासक ,
उनसे माँग हमारी थी ||

 क्रांतिकारी जूझ  पढ़े थे ,
अपना देश बचाने को |
टूट पड़े थे अंँग्रेजों पर ,
तत्थर थे  कुर्बानी को ||

देश भक्ति में बलिदानों का,
 संघर्षों का दौर चला |
अँग्रेजों का दमन चक्र अब  ,
देश में चारों ओर चला ||

देशभक्त कई कुचल दिए थे ,
दौड़े उन पर घोड़े थे |
सही यातना फाँसी फंदे ,
पड़े पीठ पर कोड़े थे ||

अँग्रेजों के विरुद्ध बगावत ,
चहुँ खिलाफत नारे थे ||
अँग्रेजों तुम भारत छोड़ो ,
बोल उठे जन सारे थे ||

बुलंन्द हौसले हाथ हथकड़ी ,
जज्बा जोश नजारा था |
भारतमाँ के जयकारों संग ,
स्वतंत्रता का नारा था ||

दीर्घ सिलसिला संघर्षों का ,
वर्षों तक आवाहन हुए |
उग्र प्रदर्शन देश भक्ति में ,
क्रांतिवीर बलिदान हुए ||

जलियाँवाला बाग की घटना,
 दहला भारत सारा था |
 उबल  पड़ा  था सारा भारत ,
हिंसक हुआ नजारा था ||

भगत सिंह सुखदेव राजगुरु ,
आजाद स्वाभिमानी को |
 भूल न सकते भारतवासी ,
क्रांतिवीर  बलिदानी  को||

नेताजी सुभाष का गूँजा ,
जय हिंन्द का नारा था |
इनकी गतिविधि देख हतप्रभ,
 ब्रिटिश राज तब सारा था ||

राष्ट्रवादी गांधी नेहरू ,
देशभक्त कई जेल गए |
सावरकर से क्रांतिकारी ,
कई  प्राणों पर खेल गए ||

सत्याग्रह व आंदोलन का ,
फैला विकट नजारा था |
अंग्रेजी सत्ता के सम्मुख ,
बचा न कोई चारा था

अँग्रेजों को चैन नहीं था ,
पल-पल में हैरानी थी |
सत्याग्रह व आंदोलन ने,
लिक्खी नई कहानी थी ||

सन उन्नीसौ सैतालिस  में,
परतंत्रता का अंत हुआ |
15 अगस्त को मिली स्वतंत्रता ,
 भारत देश स्वतंत्र हुआ ||

अपने देश में अपना शासन ,
आधिपत्य अधिकार हुआ ||
लाल किले पर उड़ा तिरंगा ,
अवगत सब संसार हुआ ||

चहुँ  देश में जश्न मना था,
स्वतंत्रता के नारे थे |
लहरा  फहरा चहुँ तिरंगा ,
भारत माँ जय कारे थे ||

बलिदानों का  रहा सिलसिला ,
गुजरा देश  तबाही  से ,
स्वतंत्रता इतिहास हमारा ,
लिखा खून की स्याही से ||
-०-
पता
राम गोपाल राही
बूंदी (राजस्थान)
-०-



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