(कविता)
सबसे न्यारा है यह दुलारा, भारत देश हमारा ।
जीना-मरना जिसके लिए है, वह देश हमारा ।।धृ।।
राजगुरु सुखदेव भगतजी ।
हॅंसते-हॅंसते चढ गए फाॅंसी ।।
शिरीष बाबू, बाबू गेनू ।
लडते-लडते जान भी दे दी ।।१।।
वांची अय्यर, बंधु चाफेकर ।
अंग्रेजों के हुए शिकार ।।
गिनत-अनगिनत क्रांतिकारी ।
धधग-धधगति बन गए ज्वाला ।।२।।
शांति प्रणेता नेहरु जवाहर ।
गांधीजी तो सत्य पुजारी ।।
तिलक-लाला, राणी लक्ष्मी ।
जो थे साथी गरम दल के ।।३।।
फिर ऐसा हुआ अब जो ।
याद करेंगे अतीत को हम ।।
क्रांतिविरों जैसी हम भी
करेंगे अर्पण जीवनधारा ।।४।।
सबसे न्यारा है यह दुलारा, भारत देश हमारा ।
जीना-मरना जिसके लिए है, वह देश हमारा ।।धृ।।
राजगुरु सुखदेव भगतजी ।
हॅंसते-हॅंसते चढ गए फाॅंसी ।।
शिरीष बाबू, बाबू गेनू ।
लडते-लडते जान भी दे दी ।।१।।
वांची अय्यर, बंधु चाफेकर ।
अंग्रेजों के हुए शिकार ।।
गिनत-अनगिनत क्रांतिकारी ।
धधग-धधगति बन गए ज्वाला ।।२।।
शांति प्रणेता नेहरु जवाहर ।
गांधीजी तो सत्य पुजारी ।।
तिलक-लाला, राणी लक्ष्मी ।
जो थे साथी गरम दल के ।।३।।
फिर ऐसा हुआ अब जो ।
याद करेंगे अतीत को हम ।।
क्रांतिविरों जैसी हम भी
करेंगे अर्पण जीवनधारा ।।४।।
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