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Saturday, 15 August 2020

देश हमारा (कविता) - राजेंद्र खांबे




देश हमारा
(कविता)
सबसे न्यारा है यह दुलारा, भारत देश हमारा ।
जीना-मरना जिसके लिए है, वह देश हमारा ।।धृ।।
    राजगुरु सुखदेव भगतजी ।
    हॅंसते-हॅंसते चढ गए फाॅंसी ।।
    शिरीष बाबू, बाबू गेनू ।
    लडते-लडते जान भी दे दी ।।१।।
वांची अय्यर, बंधु चाफेकर ।
अंग्रेजों के हुए शिकार ।।
गिनत-अनगिनत क्रांतिकारी ।
धधग-धधगति बन गए ज्वाला ।।२।।
    शांति प्रणेता नेहरु जवाहर ।
    गांधीजी तो सत्य पुजारी ।।
    तिलक-लाला, राणी लक्ष्मी ।
    जो थे साथी गरम दल के ।।३।।
फिर ऐसा हुआ अब जो ।
याद करेंगे अतीत को हम ।।
क्रांतिविरों जैसी हम भी
करेंगे अर्पण जीवनधारा ।।४।।
-०-
पता
राजेंद्र खांबे 
रत्नागिरी (महाराष्ट्र)

-०-



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