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Wednesday, 9 September 2020

मस्तिष्क एक कल्पवृक्ष (आलेख) - डा. नीना छिब्बर

मस्तिष्क एक कल्पवृक्ष
(आलेख)
मानवी काया पांच तत्वों और पाँच प्राणों की सम- मिश्रित सामग्री से बना है | तत्वों से काया का और प्राणों से मन का निर्माण हुआ है | मनुष्य मात्र जीवन निर्वाह की आवश्कताए इकठ्ठी करते प्रतीत होता  | पर यदि उसे सीमाओं से आबध ना करे ,उचित अवसर दे प्रशिक्षण और अभ्यास मिले तो वह अद्भुत  कार्य कर सकता है |
  चेतना अपना कार्य यूँ तो शरीर के कण–कण में करती है पर उसका केन्द्रक संस्थान मस्तिष्क के सुदृढ़  दुर्ग में है |संसार भर के सर्वोतम  कोम्प्युटर को मिलाने पर यदि कोई विशेष कोम्प्युटर बन सकता है तो भी उस से भी अधिक क्षमता मानवी दिमाग में है |मनः  शास्त्र के निष्णांत    महारथियों का कहना है कि मानव मस्तिष्क की समग्र क्षमता का मात्र सात प्रतिशत भाग ही जाना और काम में लिया जाता है |शेष  ९३ % एक.प्रकार से प्रसुप्त एवं अविज्ञात स्थिति  में पड़ा रहता है | जो इस विलुप्त  को जितना जगाने का काम करता है वो उतना ही विलक्ष्ण काम करता है |यह सत्य  है कि धन – संपदा से हजारों – लाखों गुना महत्व और परिणाम बुद्धिमता का होता है |  बुद्धि से संपन व्यक्ति अपना ही नहीं समाज और  देश का भी कल्याण  करता है |

   मस्तिष्कीय क्रिया –कलाप जिन नर्व –सेल्स (तंत्रिका –कोशिकायों|)से मिल कर संचालित रहता है उनकी संख्या प्रायः दस अरब होती है | इन्हें आपस में जोड़ने वाले नर्व फाइबर और उसके इंसुलेशन खोपड़ी में खचा खच भरे हुए हैं | एक तंत्रिका कोशिका का व्यास एक इंच के हजारवें भाग से भी कम है| उसका वजन एक ओंस  के साठ अरबवें भाग से अधिक नहीं है | तंत्रिका तंतुओं से होकर बिजली के जो इम्प्लस दौड़ते हैं वही ज्ञानेन्द्रियों के माध्यम से आवशयक सूचनाएं  उस केंद्र तक पहुचाते है | कनाडा के स्नायु विशेषग डॉ. पेन फील्ड ने एक व्यक्ति का एक स्मृति कोष विद्युत धारा के स्पर्श से उतेजित किया | उसने बीस साल पहले देखी फिल्म का कथानक और गाने ऐसे सुनाए माऩ अभी – अभी देख कर आया है
 मस्तिष्क में इतनी जानकारियाँ भरी रहती है की यदि किसी मानवकृत कोम्प्युटर  में उतना ज्ञान संग्रह किया जाये तो धरती के क्षेत्रफल जितनी चुम्बकीय टेप की आवश्यकता पड़ेगी |
   जन्मकाल से मनुष्य का मस्तिष्क मात्र १२ ओंस का होता है | किन्तु पूर्ण यौवन आने पर पर प्रायः तीन पौंड  का हो जाता है  | वजन की तुलना में उसकी कार्यक्षमता असंख्य गुणा बढ़ जाती है | किसी कारण वश आधा मस्तिष्क नष्ट हो जाये तो शेस आधे से भी पुरे का काम चल सकता है | वस्तुतः शरीर में मस्तिष्क की स्तिथी वही है जो किसी बड़ी फैक्ट्री में मशीन को बिजली की आपूर्ति करने वाले ,उन में प्राण फकने वाले  जनरेटर की होती है |लगभग दस अरब न्यूरान कोशो से विनिर्मित , सवा  से ढेड़  किलो भार का भूरे लिबलिबे  द्रव्य जैसा यह अंग किसी सुपर कंप्यूटर की क्षमता से भी हजार गुणा सामर्थ्य रखता है | यह इसकी सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट|(  सी.पी .यु) तय कर के कुछ ही माईक्रो सेकंड्स में अभिव्यक्त भी कर देती है |सतत सक्रिय बने रहने वाले मस्तिष्क में ५२ हजार मीटर  प्रति सेकंड्स की गति से विद्युत् संकेत इधर से उधर दौड़ते रहते हैं व् आने वाले संकेतों ,क्रियावन किये जाने वाले निर्णयों एवम जाने वाले संदेशो की आधार शिला  रखते है |

    मान्यता है कि कल्पवृक्ष के नीचे बैठने पर समस्त मनोकामनाए पूर्ण होती है |ऐसे वृक्ष   कम ही हैं पर एक प्रत्यक्ष कल्पवृक्ष मस्तिष्क के रूप में हम सब को मिला है | मूर्घन्य मन शास्त्री का मत है कि ध्यान प्रक्रिया  द्वारा मस्तिष्क के भीतर अनेकों प्रकार के रासायनिक परिवर्तन किय जा सकते है | ध्यान ऐसी निरापद आध्यात्मिक प्रक्रिया है जिस के असीमित लाभ है | इन मानसिक शक्तियों को बढ़ाने के भी कतिपय नियम है  । जिन का पालन करने से  मस्तिष्क की उर्जा बढ़ती है ।

१, प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उठ कर शौचादि  से निवर्त हो शुद्ध वायु में घूमना चाहिए |

२.पेट में कब्ज मत होने दो | बिना भूख मत खाओ ,हर ग्रास को दांतों से खूब बारीकपीस कर निगलों।

३. भोजन सादा ,सात्विक , हल्का और पौष्टिक होना चाहिए |

४. तम्बाकू, भांग, मादक द्रव्यों को  सद्बुद्धि  का शत्रु समझते हुए उनका कभी  भी सेवन न करे |

५. नित्य नियम पूर्वक व्यायम और प्राणयाम करे |

६. शरीर ,वस्त्र, मकान ,पुस्तक, मेज ,कुर्सी आदि की सफाई पर पूरा ध्यान रखें | गन्दगी को पास भी फटकने ना दें ।

७. अपनी शक्ति  पर विश्वास  रखो ,अपने को तुच्छ ,नाचीज, मूर्ख , या अयोग्य मत समझो |
,सकरात्मक  विचारों से भीतर की ताकत चौगुनी हो जाती है।

 ९. हर समय किसी न किसी काम में लगे रहो , बेकार मत बैठो | मुस्कुराहट और मन में प्रसन्ता रखे |

९ . द्वेष , दुराचार, छल चोरी, क्रोध, कलह आदि को मस्तिष्क में मत घुसने दो |

 १०. ईश्वर की प्रार्थना करे कि सदबुद्धि प्रदान करे।

 ११. गायत्री मन्त्र का जाप करने से बुद्धि बढ़ती हझ यह अनुभव जन्य सत्य है । 

-०-
डा. नीना छिब्बर
जोधपुर(राजस्थान)

-०-

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सावन का महीना (कविता) - शुभा/रजनी शुक्ला


सावन का महीना गीत
                    (कविता)
सावन के झूले पड़े साजन सजनी  संग झूले
ऐसे दीवाने बने घर  परिवार भूले

सावन के महीने की ऋत मतवाली
जित देखू उत् है हरियाली
प्रेम सुमन खिले साजन सजनी झुलें

सारा आलम सतरंगी हो गया
मन हर्षित तन पुलकित हो गया
ओस के मोती सजे साजन सजनी झूले

ओढ़ी धरा ने चादर हरिभरी
सावन में कृषकों की भी खुशियां बढ़ गई
सुगंधित पुष्प महके साजन सजनी संग झूले

चातुर मोर पपिहा  गाए
कोयल मीठे गीत सुनाए
रिमझिम मेघ बरसे साजन सजनी झूले


सावन में पर्वो की धूम मची है गोरी के सर पे चुनर सजी  है
सोलह श्रृंगार सजे  साजन सजनी झूले।
-०-
शुभा/रजनी शुक्ला
रायपुर (छत्तीसगढ)

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हो रहा आजकल (ग़ज़ल) - मोहम्मद मुमताज़ हसन


हो रहा आजकल
(ग़ज़ल)
हो रहा आजकल इंसान का सौदा
हक - हक़ूक़ और ईमान का सौदा

जंग इंसाफ़ की हम रह गए लड़ते
कर लिया उसने हुक्मरान का सौदा

खूब सियासत चमका रहा था अपनी
करके वो अम्नो- अमान का सौदा

आदतन उसने तो झुठ बोला था
वो कर गया उसकी ज़ुबान का सौदा

हो रहा है आजकल इंसान का सौदा
हक़ - हक़ूक और ईमान का सौदा_
-0-
पता:
मोहम्मद मुमताज़ हसन
गया (बिहार)

-०-

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अभी नहीं देखा (कविता) - अमित डोगरा

अभी नहीं देखा
(कविता)
सिर को झुकते देखा है,
पर झुकाते नहीं देखा
अभी अपनापन देखा है,
परायापन नहीं देखा
अभी प्यार देखा है,
नफरत नहीं देखी
अभी दोस्ती देखी है,
 दुश्मनी नहीं देखी
अभी इज्जत देते हुए देखा है,
बेइज्जती नहीं देखी
सब कुछ पाते हुए देखा है,
सब कुछ खोते हुए नहीं देखा
सबको साथ देते देखा है,
अकेलापन नहीं देखा
मेरी खामोशी देखी है,
मुझे ज्वालामुखी बनते नहीं देखा
 पानी जैसे शांत चलते देखा है,
 उसी पानी को सब कुछ
 बहाते ही नहीं देखा
अभी सिर्फ तूफान देखा है,
तूफान को बवंडर बनते नहीं देखा
सच्चाई पर पर्दे पड़े देखे हैं,
उन परदो को उठते नहीं देखा
-०-
पता:
अमित डोगरा 
पी.एच डी -शोधकर्ता
अमृतसर

-०-

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