देश की बेटी निर्भया और प्रियंका
काश ! अगर मैं
तेरे इंसानियत के पीछे छिपेे,
हैवान को पहचान पाती।
तो शायद ,
तो शायद ,
मैं आज तेरी हैवानियत का
शिकार न हो पाती।
काश ! अगर मैं
काश ! अगर मैं
तेरे दिल में छिपी हुई ,
दरिंदगी को पहचान पाती।
तो शायद,
तो शायद,
मैं तुझ जैसे दरिंदे से ,
अपनी लाज को बचा पाती।
काश ! अगर मैं
अपनी लाज को बचा पाती।
काश ! अगर मैं
तेरे दिलों-दिमाग में चल रहे,
षड़्यंत्र को पहचान पाती।
तो शायद ,
तो शायद ,
मैं तेरे घिनोने षड़्यंत्र के खेल का
मुहरा न बन पाती।
काश ! अगर मैं
काश ! अगर मैं
तेरे चेहरे के पीछे,
छिपे नकाब को पहचान पाती।
तो शायद ,
तो शायद ,
मैं अपने चेहरे के नकाब को
बेनकाब न होने देती।
काश ! अगर मैं
काश ! अगर मैं
तेरी असलियत को पहचान पाती।
तो यूँ ,अकेले में बैठकर आँखों से
अनगिनत आँसू न बहा रही होती।
काश ! अगर खुदा तुने,
देश की बहन - बेटियों की,
दर्द भरी रोने की, चिल्लाने की,
सिसकने की, आवाज सुनी होती।
तो शायद आज निर्भया,प्रियंका,
जैसी देश की बेटियाँ,
धरती माता को लिपटकर रोते हुए,
तो यूँ ,अकेले में बैठकर आँखों से
अनगिनत आँसू न बहा रही होती।
काश ! अगर खुदा तुने,
देश की बहन - बेटियों की,
दर्द भरी रोने की, चिल्लाने की,
सिसकने की, आवाज सुनी होती।
तो शायद आज निर्भया,प्रियंका,
जैसी देश की बेटियाँ,
धरती माता को लिपटकर रोते हुए,