*** हिंदी प्रचार-प्रसार एवं सभी रचनाकर्मियों को समर्पित 'सृजन महोत्सव' चिट्ठे पर आप सभी हिंदी प्रेमियों का हार्दिक-हार्दिक स्वागत !!! संपादक:राजकुमार जैन'राजन'- 9828219919 और मच्छिंद्र भिसे- 9730491952 ***

Saturday, 18 April 2020

देश की बेटी निर्भया और प्रियंका (कविता) - दीपिका कटरे

देश की बेटी निर्भया और प्रियंका
(कविता)
काश ! अगर मैं
तेरे इंसानियत के पीछे छिपेे,
हैवान को पहचान पाती।
तो शायद ,
मैं आज तेरी हैवानियत का
शिकार न हो पाती।

काश ! अगर मैं
तेरे दिल में छिपी हुई ,
दरिंदगी को पहचान पाती।
तो शायद,
मैं तुझ जैसे दरिंदे से ,
अपनी लाज को बचा पाती।

काश ! अगर मैं
तेरे दिलों-दिमाग में चल रहे,
षड़्यंत्र को पहचान पाती।
तो शायद ,
मैं तेरे घिनोने षड़्यंत्र के खेल का
मुहरा न बन पाती।

काश ! अगर मैं
तेरे चेहरे के पीछे,
छिपे नकाब को पहचान पाती।
तो शायद ,
मैं अपने चेहरे के नकाब को
बेनकाब न होने देती।

काश ! अगर मैं
तेरी असलियत को पहचान पाती।
तो यूँ ,अकेले में बैठकर आँखों से
अनगिनत आँसू न बहा रही होती।

काश ! अगर खुदा तुने,
देश की बहन - बेटियों की,
दर्द भरी रोने की, चिल्लाने की,
सिसकने की, आवाज सुनी होती।
तो शायद आज निर्भया,प्रियंका,
जैसी देश की बेटियाँ,
धरती माता को लिपटकर रोते हुए,
अपनी मृत्यु को न अपनाती।
-०-
पता:
दीपिका कटरे 
पुणे (महाराष्ट्र)

-०-

***
मुख्यपृष्ठ पर जाने के लिए चित्र पर क्लिक करें 

No comments:

Post a Comment

सृजन रचानाएँ

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ