आशियाना नहीं होता
(कविता)
हरियाली का ठिकाना नहीं होता
जरुरी नहीं
जरुरी नहीं
वो किसी का आशियाना नहीं होता
सजती नहीं महफिले
सजती नहीं महफिले
सिर्फ महलो में ही
आरजूओं को पाने का
आरजूओं को पाने का
कोई पैमाना नहीं होता
ख्वाइशे तोड़ती है
ख्वाइशे तोड़ती है
दम रोज वहाँ
जहाँ अभिव्यक्ति का
जहाँ अभिव्यक्ति का
ताना बाना नहीं होता
दम तोड़ते रिश्तो को
दम तोड़ते रिश्तो को
दे रहे नाम बदलते परिवेश का
अपनी शिकस्तो को ना मान
दे रहे उलहाना उलझे रिश्तो का
जिन दरख्तों पर
अपनी शिकस्तो को ना मान
दे रहे उलहाना उलझे रिश्तो का
जिन दरख्तों पर
हरियाली का ठिकाना नहीं होता
जरुरी नहीं
जरुरी नहीं
वो किसी का आशियाना नहीं होता
-०-
शालिनी जैन