*** हिंदी प्रचार-प्रसार एवं सभी रचनाकर्मियों को समर्पित 'सृजन महोत्सव' चिट्ठे पर आप सभी हिंदी प्रेमियों का हार्दिक-हार्दिक स्वागत !!! संपादक:राजकुमार जैन'राजन'- 9828219919 और मच्छिंद्र भिसे- 9730491952 ***

Wednesday, 28 October 2020

नफरतों से (कविता) - संजीव कुमार ठाकुर


नफरतों से
(कविता)
नफरतों से हमारी रगो में उबाल क्यों नहीं,
बढ़ती हरकतों पर हमारे बीच सवाल क्यों नहीं।।

इन कौमी हमले पर जरा मलाल क्यों नहीं,
शर्मनाक हिंसा पर दुनिया में बवाल क्यों  नहीं।।

नफरतों के बीज से आतंक ही होगा पैदा,
तुम अपने आप से पूछते सवाल क्यों नहीं।

जिस माटी का खाया नमक, हक़ अदा करो,
नमक हराम क्यों नमक हलाल क्यों नहीं।।

पेरिस के हमलों में  लहुं में उबाल क्यों नहीं
दिलों में नफरत पर दुनिया मे सवाल क्यों नहीं।।

मुह में राम बगल में छुरी ऐसे में सवाल क्यों नहीं।
हवाओ में नफरत घोलनें पर बवाल क्यों नहीं।

ये इंसानियत का क़त्ल है जेहन में सवाल क्यों नहीं
अगली नस्ल क्या सीखेगी तुम्हे मलाल क्यों नहीं।।
-०-
पता:
संजीव कुमार ठाकुर
रायपुर (छत्तीसगढ़)

-०-
संजीव कुमार ठाकुर की रचना पढ़ने के लिए शीर्षक चित्र पर क्लिक करें! 

***
मुख्यपृष्ठ पर जाने के लिए चित्र पर क्लिक करें 

निर्जन अपनी रातों को (कविता) - डॉ. राजीव पाण्डेय


निर्जन अपनी रातों को
(गीत)
जब खंगाला हमने अपने,       
         अनुबंधों के खातों को।
पृष्ठ पृष्ठ पर पाया केवल,
      घातों अरु प्रतिघातों को।

प्रथम पंक्ति में सदा खड़ा था,
          जीवन की हर मुश्किल में।
फिर भी फ़ांस नही निकली थी,
            फंसी हुई थी जो दिल में।
मेरा झुकना रास न आया,
       फिर भी पाया लातों को।

जहाँ जहाँ उनके कदम पड़े थे         
             खूब बिछाया फूलों को।
रिश्तों की खातिर तो हमने,
             छोड़ा सभी उसूलों को।
मात्र खिलौना ही समझा था,
           मेरे भी जज्बातों को।

पास फटकने नहीं दिया था,
             जीवन में अवरोधों को।
धारण कण्ठ किया था हमने,
          इस जग के प्रतिशोधों को।
नहीं धरातल दे पाये वो,
         मेरी कोमल बातों को।

जला दिया था सिय के कारण
         प्रतिबन्धों की लंका को।
भले पूँछ में आग लगी थी,
           निर्मूल किया शंका को।
अवध सो गई उनकी चिंता,
         निर्जन अपनी रातों को।
-०-
पता:
डॉ. राजीव पाण्डेय
गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

-०-
डॉ. राजीव पाण्डेय की रचना पढ़ने के लिए शीर्षक चित्र पर क्लिक करें! 

***
मुख्यपृष्ठ पर जाने के लिए चित्र पर क्लिक करें 

कोरोना से मुक्ति (कविता) - डॉ. मलकप्पा अलियास महेश



कोरोना से मुक्ति
(कविता)
कार्तिक मास की
आमावस में लक्ष्मी भ्रमण
पर निकली कोरोना काल में |

कोरोना से फैला
तमस को मिटा प्रज्वलित
ज्योती जगाकर नयी स्फूर्ति
भर नये प्रादुर्भाव लेगी माँ |

धनथेरेस  पर खरीददारी
कर घी का दीया जलाकर
प्रत्येक कोने को प्रकाशित
करते कोरोना को मुक्ति देना है |

श्रीगणेश, लक्ष्मी पूजा
कर शांति व समृद्धि
पाना है कोरोना भगाना है |

राम, कृष्ण के भक्तों
ने तो रावण, नरकासुर
वध के प्रतीक भी खुशियों
का पर्व मनायेंगे |

हम प्रार्थना करें प्रभु से
कोरोना को संहार करने
हेतु अवतरण लेलो फिर
एक बार |
-०-
पता:
डॉ. मलकप्पा अलियास महेश
बेंगलूर (कर्नाटक)

-०-
डॉ. मलकप्पा अलियास महेश  की रचना पढ़ने के लिए शीर्षक चित्र पर क्लिक करें! 

***
मुख्यपृष्ठ पर जाने के लिए चित्र पर क्लिक करें 

सृजन रचानाएँ

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ