'यह इंदु अमृत रस टपकाये'
(कविता)
शरद पूर्णिमा का यह इंदू
अमृत रस टपकाये।
लक्ष्मी जन्म दिवस का यह दिन
अनुपम खुशियाँ लाये।
माँ लक्ष्मी की कृपा से
मधुर मिलन हो हर घर आंगन,
माता शिक्षा स्वास्थ्य और सम्पन्नता
घर घर में बरसायें।
भव्य दिव्य हो हर वन उपवन
प्रेम से महके हर तन मन,
खिल कर हर प्राणी का मन
स्वर गीत सुमधुर गुनगुनायें।
न हो गृह कलेश कहीं भी
न मन में रहे किसी के कटुता,
गृहणियां प्रेम का मधुरस मिलाकर
घर घर खीर बनायें।
फिर छत पर रख
इन्दु रश्मियों का अमृत रस भर इसमें,
अपने घर के हर प्रिय जन को
यह पियूष प्रसाद खिलायें।
दीपक करते आपसे प्रार्थना
हे जगतपाल लक्ष्मीनारायण,
आपकी कृपा से यह स्वर्ग
इस वसुंधर पर उतर आये। ।
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पता
रजनीश मिश्र 'दीपक'
शाहजहांपुर (उत्तरप्रदेश)
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