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Sunday 10 January 2021

हिन्दुस्तान हम सबका है (कविता) - रोशन कुमार झा

 

हिन्दुस्तान हम सबका है 

(कविता)
सब मामला खुदा मसीहा भगवान की है,
दो हजार उन्नीस से बीस हुए ये नया वर्ष हम इंसान की है !
पूजा पाठ कला और विज्ञान की है,
मंदिर गुरुद्वारे ,चर्च मस्जिद है जहां वह सर्वभूमि
हिन्दुस्तान की है !

अटल और कलाम की है,
रहीम और राम की है !
आर्यभट्ट विश्व को “शुन्य” इनाम की है,
हिन्दुस्तान भरत नाम की है,
सच में भारत भूमि पर गांधी, मोदी,योगी काम की है !

ये हिन्दी ये हिन्दुस्तान बलिया के साहित्यकार
डॉ हजारी प्रसाद की है,
आपस में क्यों हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई फसाद की है,
ये भूमि अकबर, नेहरू और राजेंद्र प्रसाद की है,
स्वतंत्र तो हूं पर अंग्रेज स्वतंत्रता लड़ने के बाद की है !
गर्व है चंन्द्रशेखर नेताजी सुभाष चंद्र पर जिन्होंने हमें आजाद की है !
ये भूमि तो कवि जयशंकर प्रसाद की है !
और ये प्यारा हिन्दुस्तान प्रतिभा पाटिल ,पीयूष गोयल और
लालू प्रसाद की है !

पुथ्वीराज,व महाकवि विद्यापति और नागार्जुन की है,
स्वतंत्र हिन्दुस्तान भगत और शहीदों की खून की है,
आज भी विश्व में प्रशंसा विवेकानन्द जी की गुण की है,
ये हिन्दुस्तान राहुल, नीतीश, ममता और
रक्षा मंत्री अरुण की है
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई की ही नहीं बल्कि ये हिन्दुस्तान
सम्पूर्ण की है !

कृपा माँ सरस्वती पिता शिव और महेश की है,
कलकत्ता के बि बि डि (B.B.D) बाग महान क्रांतिकारी
विनय बादल और दिनेश की है,
ये धरती महान नाटककार मोहन राकेश की है,
स्वर्ग से भी सुंदर हाल कश्मीर की परिवेश की है,
वह है देश हिन्दुस्तान जो एशिया महादेश की है !

जो विश्व को आनंद की है,
राधा कृष्ण माता यशोदा और नंद की है,
मिथिलांचल के आदर्श राजन जनक और कहानी के
बाप प्रेमचंद की है,
ये हिन्दुस्तान सुजान के वियोगी कवि घनानंद की है ।

बिरसा मुंडा और गुरु गोविंद की है,
दार्शनिक और महान महर्षी अरविंद की है !
गंगा यमुना और गति सिंध की है,
ये हिन्दुस्तान हर एक जनता के प्रिय राष्ट्रपति कोविंद की है !

महाराष्ट्र के कवि तुकाराम व साधु संत की है ,
ओम (ऊं) (786) सात सौ छियासी जैसी मंत्र की है !
कबीर, तुलसी सूर की कंठ की है,
ये भूमि महादेवी वर्मा ,मैथिलीशरण गुप्त और पंत की है !

भारत हम पंजाबी बंगाली और बिहारी की है,
सपना टैगोर, राष्ट्र गुरु सुरेन्द्रनाथ,और राष्ट्र कवि
रामधारी की है,
ईद दिवाली ये पूजन भूमि माँ दुर्गा और काली की है,
तब ही तो ये हिन्दुस्तान हर नर और नारी की है !

ये भूमि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की है,
पृथ्वीराज चौहान का दरवारी कवि चंदबरदाई की है !
पूजन यहां गाय की है,
नौकरी और व्यवसाय की है ,
ये धर्म भूमि साईं बाबा और गोसाईं की है !
भारत माँ की सेवा में हाथ
जल,थल, वायु भारतीय सेना तीनों भाई की है ,
सदियों से एक रहे अब न वक्त लड़ाई की है !

कवि हरिवंश राय बच्चन और
कौन बनेगा करोड़पति अमिताभ की है,
ये भूमि कुरान बाइबिल गीता रामायण और
महाभारत जैसी काव्य की है !
गौतम बुद्ध और महावीर जैसी उत्तम स्वभाव की है,
ये हिन्दुस्तान शहर और गांव की है !

टीपू सुल्तान की है ,
ये भूमि कवि व कृष्ण भक्त रसखान की है !
अभिनेता संजय दत्त, सनी देओल, शाहरुख और सलमान खान की है !
सानिया मिर्जा भी यही कि वह भी हिन्दुस्तान की है !

ये भूमि शंकराचार्य की है ,
हिन्दी साहित्य के रामचंद्र शुक्ल आचार्य की है !
हिन्दुस्तान गणितज्ञ और ज्योतिषाचार्य की है,
और ” सिध्दांत शिरोमणि की रचना भास्कराचार्य की है !

अब दिन साह अमित की है,
ये भारत के बंग भूमि अभिनेता प्रसनजीत की है !
प्रसिद्धि किशोर कुमार की गीत की है !
मिथिला पेंटिंग मधुबनी चित्रकला की व गुरु वशिष्ठ, विश्वामित्र की है,
तैयारी अब जीत की है,
ये हिन्दुस्तान हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई की ही नहीं
ये हिन्दुस्तान हम सभी मित्र की है !

ताजमहल शाहजहां के प्रेमिका मुगल
साम्राज्य के मुमताज की है,
प्रार्थना और नमाज की है !
अलाउद्दीन खिलजी की आवाज की है,
विदेश मंत्री सुक्षमा स्वराज की है,
गर्व है हमें कि हम हिन्दुस्तान राज्य की है !

सूर्य के प्रकाश चांद की शीतल की है, :
ये भूमि गंगा यमुना सरस्वती की निर्मल जल की है !
वीर कुंवर व दुष्यंत कुमार की ग़ज़ल की है !
और ये भारत “अकबरनामा” का रचयिता
अबुलफजल की है,
ये हिन्दुस्तान रहा है और लम्बी उम्र की है !

फल फूल माघ और पूस की है,
जन्मभूमि कर्ण लक्ष्मण लव और कुश की है ,
वीरता के प्रतीक विंग कमांडर अभिनंदन की मूंछ की है ,
ये हिन्दुस्तान दानी और कजूंस की है !

मैथिली गायिकी पूनम भोजपुरी हीरो मनोज,निरहुआ
पवन और खेसारी की है,
और अभिनेत्री ऐश्वर्या रानू ,लता मंगेशकर जैसी नारी की है !
ये भारत सचिन, धोनी, विराट और सोरभ आदि क्रिकेट की
खिलाड़ी की है !
और ये हिन्दुस्तान मुख्य नाटककार भिखारी की है !

ग्रैंड ट्रक रोड यानि जी.टी रोड (G.T.Road)
भारत की लम्बी राह की है,
ये बना हुआ शेरशाह की है !
ब्रहमा विष्णु महेश और अल्लाह की है !
ब्राह्मण, क्षत्रिय , वैश्य , शूद्र और मल्लाह की है !
ये हिन्दुस्तान हर एक की चाह की है !

ये भारत द भारत स्काउट एण्ड गाईड,सेंट जाँन ऐम्बूलेंस
,एन.सी.सी(Ncc) ,एन.एस.एस,(Nss) और इग्नू (IGNOU) जैसी संस्था की पावर की है,
इंदिरा गांधी, रामकृष्ण परमहंस ,इब्राहीम लोदी
और बावर की है !
खुदीराम बोस और कुंवर की है ,
बाबा रामदेव की डाबर की है ,
ये हिन्दुस्तान मुकेश अंबानी की जिओ की टावर की है !

हिन्दुस्तान अशोक और चाणक्य के नीती की है,
विद्यासागर,दीन दयाल उपाध्याय भी इसी मिट्टी की है !
खुदी राम बोस और आचार्य जगदीश चंद्र बसु के विज्ञान की रीति की है ,
और ये हिन्दुस्तान रामवृक्ष बेनीपुरी की साहित्य
की वृत्ति की है !

चंद्रगुप्त और भीमराव अम्बेडकर के मति की है,
पदमावती की है ,
भारत अखिलेश और मायावती की है,
ये हिन्दुस्तान सत्यवादी राजा हरिशचंद्र और गौडवाना की शासक दुर्गावती की है !

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय सर सैयद अहमद की है,
भारत गद्य और पद्य की है ,
हिन्दुस्तान बी.जे.पी, कांग्रेस,टी.एम.सी,आदि दल और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की है ! (ABVP)
भाईचारा और एकता के कारण कल भी और आज भी विश्व स्तर पर भारत हद की है ,

लाल बहादुर और सरदार वल्लभ भाई पटेल की है,
और भारतीय रेल की है !
भाईचारा की मेल की है,
हिन्दुस्तान कभी भी किसी से भी दोस्ती करने में न
देर की है !

ये भूमि के.एम.करिअप्पा व एस.एच.एफ.मानेकंशा जैसे फील्ड मार्शल की है,
सेना प्रमुख बिपिन रावत व बाल गंगाधर की है !
मनमोहन सिंह भी यही की प्रधानमंत्री आज न कल की है
ये भारत राजा राम मोहन राय जैसे अक्ल की है !
ये हिन्दुस्तान स्वामी दयानंद,व छत्रपति
शिवाजी जैसे शक्ल की है !

भारत बंगाल के वकील,व स्वराज दल के संस्थापक
चितरंजन दास की है,
वाल्मीकि और वेदव्यास की है,
हिन्दुस्तान संस्कृति के कहे जाने वाले शेक्सपीयर
कालीदास की है !
भारतेंदु हरिश्चंद्र युग निर्माता की अभ्यास की है ,
राणा, मीराबाई और ये हिन्दुस्तान वैरागी और संन्यास की है,

दुर्योधन, द्रोणाचार्य और एकलव्य की है,
राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी और पूर्व राष्ट्रपति व भारतरत्न से सम्मानित प्रणब की है !
मानों तो विद्यार्थी, सैनिक, डाक्टर, किसान आदि सबकी है ,
पुरानी और नव की है,
सच में हिन्दुस्तान सबकी साथी पता न ये दोस्ती कब की है !

हवा हूं हवा जो रचना अग्रवाल नाथ केदार की है,
जनता और सरकार की है !
हिन्दुस्तान भारत के हर एक लाल की है,
भूत, वर्तमान ये दोस्ती भविष्य काल की है !

द टाइम्स ऑफ इण्डिया, टेलीग्राफ न्युज पेपर और बंगाली पत्रिका आनंद बाजार की है,
ये भारत साईकिल,बस, घोड़ागाड़ी और कार की है !
प्रभात खबर, दैनिक जागरण, भारत एक नजर, समज्ञा
और सन्मार्ग जैसी अखबार की है ,
ये हिन्दुस्तान आधुनिक भारतीय प्रसिद्ध शायर
इकबाल की है !

राजतरंगिणी की रचयिता कल्हण की है
ये भूमि अहिल्या , और राम-सीता की मिलन की है !
यशोधरा कविता लिखा हुआ कवि मैथिलीशरण की है ,
यह रचना हम हमारी रोशन की है ,
ये धरती राष्ट्रकवि सुमित्रानंदन की है,
तब ये हिन्दुस्तान हम जन जन की है !

कमला कोसी गंगा की नीर की है,
कन्याकुमारी और कश्मीर की है !
अब फैसला दिमाग और दिल की है,
हिन्दुस्तान भारत के हर एक शरीर की है !
-०-
रोशन कुमार झा
कोलकाता (पश्चिम बंगाल)

-०-



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दिन आया अति पावन (कविता) - मुकेश कुमार 'ऋषि वर्मा'

  

दिन आया अति पावन
(मुक्तक)
दिन आया अति पावन पवित्र 
मकर संक्रांति की खुशियां फैलीं सर्वत्र 
उड़ेगीं आकाश में नीली -पीली पतंग 
सब जन मिलकर पढ़ो मानवता का मंत्र

 नहाओ भोर-भोर, कमाओ पुण्य-धर्म 
करो गंगा, यमुना, कावेरी से पावन कर्म 
खाकर तिल - लड्डू ,मूँगफली - गजक 
सब जन समझो त्योहारों का मर्म 

दान-धर्म कर जीवन सफल बनाओ 
चलो - चलो साथी गंगा में डुबकी लगाओ 
हाथ जोड़ ईश्वर से करो प्रार्थना
 सबका हो कल्याण, हमारा भी बेडा पार लगाओ
-०-
मुकेश कुमार 'ऋषि वर्मा'
फतेहाबाद-आगरा. 
-०-

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श्रृंगार की बिंदी हूँ (कविता) - डॉ. कान्ति लाल यादव


श्रृंगार की बिंदी हूँ
(कविता)
संस्कृत मेरी जननी मैं बेटी हिंदी हूं।
भारत मां के भाल की, श्रृंगार की बिंदी हूं ।
भारत के जन-मन में आस्था सी बसी हूं।
पूरे विश्व को एक करने मैं चली हूँ।
ज्ञान की जुबान में कलम से ढली हूँ।
गुरु-ज्ञानियों के कुल में पली हूँ।
मैं भारत माता की बेटी हिंदी हूँ।
भेद-द्वेष को कोसों दूर भूली हूँ।
जो मिला मुझे प्यार से उसे गले मिली हूँ।
उदारता में, मैं महासागर सी गहरी हूँ।
जो पाता ज्ञान मुझ-से मैं नीले आकाश-सी फैली हूँ। 
मैं भारत माता के भाल की प्यारी बिंदी हूँ।
सरसता के मुख की भाषा हिंदी हूँ।
मैं शब्द -शब्द का अर्थ लेकर जिंदी हूँ। 
जो लिखती हूँ वही कहती हूँ।
जो बोलती हूँ वही तो लिखती हूँ।
मैं भारत माँ के भाल की श्रृंगार की बिंदी हूँ।
मैं भारत माता की प्यारी बेटी हिंदी हूँ।
सात समंदर पार कर भी जिन्दी हूँ।
भारत के गौरव की राष्ट्र भाषा हूँ।
-०-
डॉ. कान्ति लाल यादव
(सामाजिक कार्यकर्ता)
-०-

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जिंदगी ना मिलेगी दोबारा (कविता) - सीमा गर्ग 'मंजरी'


जिंदगी ना मिलेगी दोबारा
(कविता)
आती-जाती साँसों के  तराने,
पलछिन कटते जाते दिनरातें !
झूम के लहराता हैं क्यूँ दीवाने, 
रंगमहल से बना लिये ठिकाने!
कुप्पा सा फूले,माया भर खजाने, 
बरसों के जुटाये साजो-सामाने! 
दो पल की कुछ खबर पता ना,
राग मल्हार में बेसुध ना खोना! 
मनमूरख अन्तर्चक्षु से पुकारा ,
ये जिंदगी ना मिलेगी दोबारा....!!

संतजन थोड़े  में  करते गुजारा, 
आती-जाती साँसें नाम पुकारा!
सूत सी साँसें रामधुन ओटन लागा,
जीवन जोगन सम चदरिया  बाना!
मीरा शबरी नामटेरे ओढ़ी दुशाला,
राम नाम रस मद पीते  मतवाला! 
सहस्रारचक्र कमल खिल मुस्काया,
ये जन्म अमोल रतन धन  बनाया!
फकीरी में दिखा शहंशाही नजारा, 
ये जिंदगी ना मिलेगी दोबारा.....!!

समझ ले  जान जरा तू ये  यारा,
ये  जिंदगी ना  मिलेगी  दोबारा!
दिलरुबा  साँसों  के  ताने- बाने,
जीवन है कुंदन,बनालो अफसाने!
छिपा है  इनमें  नवनीत  रसाला,
गहन मंथन की डोरी मथ चाला!
पीयूष रस प्याला पीता मतवाला!
प्रकटे तब संत जग का प्रतिपाला,
 मानुस जन्म का रहस्य सार सारा!
ये जिंदगी ना मिलेगी दोबारा ....!!
-०-
पता: 
सीमा गर्ग 'मंजरी'
मेरठ
 (उत्तरप्रदेश) 

-०-

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"मैं आज की नारी हूँ" (विचार) - भावना ठाकर

 

"पथ नहीं भूली"

(आलेख)

मेरे जीने का अंदाज़ जुदा है सबसे मेरे न्यायाधीश ना बनों, मेरी किस्मत का फैसला करने का हक मैंने किसीको नहीं दिया।

मैं अपने नियम खुद बनाती हूँ जो मैं खुद तोड़ती हूँ, जोड़ती हूँ, मोड़ती हूँ, मेरे उन्मीलन गन्तव्य में अर्गला ना बनों।

मेरी ज़िंदगी मेरी खुद की है तो आधिपत्य किसी और का क्यूँ हो, मैं अपनी शर्तो पर जीती हूँ, हर लम्हे को जी भरकर आनंद लेती हूँ, तो मेरी इर्ष्या क्यूँ ?

अपने सुख दु:ख में लीन हूँ किसी मोहरे की मोहताज नहीं, खुद पर शासन करना जानती हूँ, मेरे विचार से तुम्हारे विचार कतई नहीं मिलते ना मिलेंगे।

महिला और पुरुष के बीच दोहरा मानक क्यूँ? इस मानसिकता के तद्दन ख़िलाफ़ हूँ , हम सब इंसान है ना कोई मजबूत, ना कोई कमज़ोर है।

हाँ मैं जानती हूँ पुरुष की आँखों में आँखें डालकर बात करना, उनके कदमों संग मक्कम अपने कदम मिलाना, मर्द की आशक्त नहीं मैं सबको अपना आशक्त करना जानती हूँ।

मैं एक कुशल, आत्मनिर्भर और हवाओं के खिलाफ़ चलने वाली नारी हूँ, अवनीत की आदत नहीं पूर्णत: खिलना जानती हूँ ।

एक हुनरबद्ध प्रेमिका अपने खुद के प्रेम में व्यस्त हूँ, शलभ हूँ अपनी जीवन शमा की मेरा आंकलन मत करो 

में किसीकी सोच की कठपुतली नहीं, 

अपने साम्राज्य की रानी हूँ, मुझे समझो  मैं आज की नारी हूँ।

-०- 

पता 
भावना ठाकर
बेंगलोर (कर्नाटक)

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