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Sunday 10 January 2021

जिंदगी ना मिलेगी दोबारा (कविता) - सीमा गर्ग 'मंजरी'


जिंदगी ना मिलेगी दोबारा
(कविता)
आती-जाती साँसों के  तराने,
पलछिन कटते जाते दिनरातें !
झूम के लहराता हैं क्यूँ दीवाने, 
रंगमहल से बना लिये ठिकाने!
कुप्पा सा फूले,माया भर खजाने, 
बरसों के जुटाये साजो-सामाने! 
दो पल की कुछ खबर पता ना,
राग मल्हार में बेसुध ना खोना! 
मनमूरख अन्तर्चक्षु से पुकारा ,
ये जिंदगी ना मिलेगी दोबारा....!!

संतजन थोड़े  में  करते गुजारा, 
आती-जाती साँसें नाम पुकारा!
सूत सी साँसें रामधुन ओटन लागा,
जीवन जोगन सम चदरिया  बाना!
मीरा शबरी नामटेरे ओढ़ी दुशाला,
राम नाम रस मद पीते  मतवाला! 
सहस्रारचक्र कमल खिल मुस्काया,
ये जन्म अमोल रतन धन  बनाया!
फकीरी में दिखा शहंशाही नजारा, 
ये जिंदगी ना मिलेगी दोबारा.....!!

समझ ले  जान जरा तू ये  यारा,
ये  जिंदगी ना  मिलेगी  दोबारा!
दिलरुबा  साँसों  के  ताने- बाने,
जीवन है कुंदन,बनालो अफसाने!
छिपा है  इनमें  नवनीत  रसाला,
गहन मंथन की डोरी मथ चाला!
पीयूष रस प्याला पीता मतवाला!
प्रकटे तब संत जग का प्रतिपाला,
 मानुस जन्म का रहस्य सार सारा!
ये जिंदगी ना मिलेगी दोबारा ....!!
-०-
पता: 
सीमा गर्ग 'मंजरी'
मेरठ
 (उत्तरप्रदेश) 

-०-

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