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Sunday 15 November 2020

बैड टच (लघुकथा) - बजरंगी लाल यादव

  

बैड टच
(लघुकथा)
   आज सारा शहर दीपक की रोशनी से जगमगा रहा था। मुहल्ले के सभी बच्चे पटाखे, फुलझड़ी, चकरी और मोमबत्ती जलाने में मसरूफ़ थे। मगर, मुन्नी अपने घर के चौखट पर बैठी बाजार से माँ के लौटने का इंतजार कर रही थी। तभी शेरा अंकल ने कहा -  मुन्नी, यह लो पटाखे और चाॅकलेट। ऊउउउ...चूम्म्म्अ...! चुम्बन लेते हुए। 
- अंकल, मुझे नहीं चाहिए आपके पटाखे और  चाॅकलेट !
- क्यों, मुन्नी ?
- क्योंकि, हरदम चॉकलेट देने के बाद आप मेरे गालों पर दाँत गड़ाते हैं; तो कभी मेरे गालों को मसलते हैं। 
- मुन्नी, वो तो मैं तुमसे प्यार जताता हूँ। 
- ये प्यार नहीं, पाप है। आज तो आपने मेरे बम पर हाथ डालकर मेरे प्राइवेट पार्ट्स को छूने की कोशिश की। जबकी, ये सभी आदते ' बैड टच ' में आयेंगी। ....और इस अश्लील हरकत के लिए आपको जेल भी हो सकती है। छः साल की मुन्नी बेबी ने गन्दे शेरा अंकल का चॉकलेट वापस करते हुए कहा। तभी आकाश में एक जोरदार पटाखे का धमाका हुआ; जिससे शेरा अंकल की पैंट गीली हो गई। 
-०-
पता:
बजरंगी लाल यादव
बक्सर (बिहार)


-०-



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