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Monday 25 November 2019

साहित्य सेवा के लिए राजकुमार जैन राजन का क्रान्तिधरा मेरठ में हुआ सम्मान

समाचार विशेष
साहित्य सेवा के लिए राजकुमार जैन राजन का 
क्रान्तिधरा मेरठ में हुआ सम्मान


मेरठ : क्रांतिधरा साहित्य अकादमी, मेरठ द्वारा आई.आई. एम. टी, विश्वविद्यालय, मेरठ के भव्य सभाकक्ष में आयोजित तीन दिवसीय मेरठ लिट्रेरी फेस्टिवल के अंतिम दिन 20 नवम्बर को आकोला के साहित्यकार, संपादक राजकुमार जैन राजन को "क्रान्तिधरा अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य साधक सम्मान" से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उनको उत्कृष्ठ साहित्य सृजन, सम्पादन, हिन्दी भाषा के प्रचार प्रसार, बाल साहित्य लेखन, उन्नयन एवम नवोदित हिन्दी लेखकों को प्रोत्साहन के क्षेत्र में किये जा रहे महनीय कार्यों के लिए मंचस्थ अतिथियों ख्यातनाम अंतर्राष्ट्रीय कवि/शायर डॉ. एजाज पोपुलर मेरठी, श्री रामदेव धरणीधर (मॉरीशस), डॉ. रमा शर्मा (जापान),श्री सरन घई (कनाडा), श्री कपिल कुमार (बेल्जियम), डॉ श्वेता दीप्ति (नेपाल), बसंत चौधरी (नेपाल) , डॉ. सच्चिनन्द मिश्र(नेपाल) आदि साहित्यिक विभूतियों द्वारा प्रदान किया गया।
इस अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक कुम्भ में भारत सहित कनाडा, नेपाल, ब्रिटेन, बेल्जियम, मॉरीशस सहित कई देशों के साहित्यकार उपस्थित रहे ।क्रान्तिधरा साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ विजय पंडित ने सबका आभार व्यक्त किया।
ज्ञातव्य है कि राजकुमार जैन राजन की अब तक 38 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है और कई पुस्तकों का विभिन्न भारतीय भाषाओं सहित श्रीलंका, नेपाल, चीन से भी अनुदित संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। आप कई पत्रिकाओं के संपादन से जुड़े हुए हैं और नए हिंदी लेखकों को पूरा प्रोत्साहन दे रहे हैं। उत्कृष्ट लेखन करने वाले रचनाकारों को प्रतिवर्ष आप द्वारा भव्य आयोजन कर सम्मानित किया जाता है। बालकों में पठन - पाठन की रुचि जागृत करने के लिए निःशुल्क बाल साहित्य वितरण किया जा रहा है जिसके तहत अब तक आठ लाख रुपये मूल्य का हिन्दी बाल साहित्य वितरित किया जा चुका है।
राजन को "क्रान्तिधरा अंतरराष्ट्रीय साहित्य साधक सम्मान" से सम्मानित किए जाने पर साहित्यकारों, जनप्रतिनिधियों व मित्रों ने बधाई देते हुए हर्ष व्यक्त किया है।

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सृजन महोत्सव परिवार की ओर से
हार्दिक बधाई !!!

भारत का विश्व में बढ़ता कद (आलेख) - नीरज कुमार द्विवेदी

भारत का विश्व में बढ़ता कद
(आलेख)
आज भारत विश्व पटल पर एक महाशक्ति बन कर उभर रहा है। पिछले कुछ समय में देश ने हर क्षेत्र में अपनी कामयाबी का लोहा मनवाया है। *20वीं शताब्दी से निकलकर 21वीं शताब्दी में हिन्दुस्तान ने अब तक उपलब्धियों को उसी तरह हासिल किया है जैसे ज्योत्स्ना के लिये सारंग चतुर्थी से चलकर चतुर्दशी को पहुँच गया हो।* अंतरिक्ष में भारत के लगातार बढ़ते हुए कदम ने उसे विश्व अंतरिक्ष कार्यक्रम में अलग पहचान दिलाई है । विश्व की सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ( N A S A ) स्वयं आगे आकर भारत के साथ मिलकर काम करने और उसे सहयोग करने की बात करती हो तो ये विश्व मंच पर बढ़ता हुआ कदम ही है। मंगलयान और चन्द्रयान-2 कार्यक्रम के बाद अब मिशन गगनयान और मिशन अंतरिक्ष स्टेशन ने भारत को विश्व के अंतरिक्ष कार्यक्रम की अग्रिम पंक्ति में खड़ा कर दिया है ।
*इस्लामिक स्टेटों की मीटिंग में भारत को बतौर मुख्य अतिथि बुलाया जाना वैश्विक मंच पर एक बड़ी उपलब्धि है जो भारत की बढ़ती पहचान का प्रतीकात्मक संकेत देती है।*
आतंकवाद के खिलाफ भारत की प्रतिबद्धता ने भारत को महाशक्तिशाली देशों के साथ खड़ा किया है । एअर स्ट्राइक करके आतंकी शिविरों को नष्ट करना भारत की आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ी मुहिम दिखाता है, जिसने भारत को सबसे बड़े वैश्विक मंच संयुक्त राष्ट्र संघ ( U N O ) में भी एक नया शिखर प्रदान किया है ।
स्वदेश निर्मित हल्का लड़ाकू विमान तेजस आत्मनिर्भरता के मामले में भारत के बढ़ते हुए कदम का ज्वलन्त उदाहरण है। *अमेरिका, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और चीन के बाद लड़ाकू विमानों की अरेस्टेड लैंडिंग कराने वाला भारत विश्व का छठां देश बन गया है* और विश्व में अपनी उपलब्धि का एक कदम और बढाया है।
सैन्य क्षमता और रक्षा प्रणाली के मामले में भी भारत बहुत तेजी से अपने कदम आगे बढ़ा रहा है। अमेरिकी सेना की एक खास ताकत चिनूक हेलीकाप्टर जिसे ओसामा बिन लादेन और बगदादी को मारने के लिये भी आपरेशन में अमेरिका प्रयोग किया गया था, अब भारतीय सशस्त्र बलों को लड़ाकू और मानवीय मिशनों के पूरे स्पेक्ट्रम में अद्भुत सामरिक एअरलिफ्ट क्षमता प्रदान करेगा।राफेल लड़ाकू विमान भी सैन्य क्षमता में वृद्धि कर देश की शान को वैश्विक स्तर पर एक कदम आगे ले जाएगा।दुनिया की किसी भी रक्षा प्रणाली और रडार की पकड़ में न आने वाली सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल ब्रह्मोस भारत को गौरव प्रदान करती है और रक्षा के क्षेत्र में सबसे एक कदम आगे रखती है।आधुनिक भारत के विश्व में बढ़ते हुए कद और सभी क्षेत्रों में बढ़ते कदम से यह कहा जा सकता है कि शीघ्र ही भारत विकसित राष्ट्रों की सूची में शामिल हो जाएगा।
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पता: 
नीरज कुमार द्विवेदी
बस्ती (उत्तर प्रदेश)
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इज्जत का सवाल (लघुकथा) - ज्ञानप्रकाश 'पीयूष'

सृजन शिल्पी पुरस्कार से सम्मानित लघुकथा

इज्जत का सवाल
(लघुकथा)
प्रतिष्ठित बाल साहित्यकार डॉ.शुभा ने पुत्र से कहा,
"बेटे वैभव! एटीएम कार्ड ले जाओ , बैंक से रुपए निकाल कर लाने हैं ,मुझे साहित्य-सम्मेलन में जाना है।"
"अच्छा मम्मी जी।"
काम में व्यस्त बेटा रुपए निकलवाने भूल गया। सम्मेलन में जाने से कुछ समय पूर्व आया और बोला मम्मी जी सब तैयारी हो गई क्या? लाओ, एटीएम कार्ड अभी रुपये निकलवा कर लाता हूँ।"
"नहीं बेटे अब रुपए नहीं निकलवाने , प्रबंध हो गया है।
बेटा माँ का स्वभाव अच्छी तरह जानता था,उसने मनुहार करके माँ से सारी बातें उगलवा लीं।
"माँ ने कहा ,"बेटे! मेरे पास पहले के बचे हुए कुछ रुपए हैं,जो पर्याप्त हैं, यदि आवश्यकता पड़ी तो मेरे साथ सम्मेलन में जा रही मनोरमा सहेली से ले लूँगी।उसका औरमेरा खाता खुला है। तुम चिंता मत करो।"
"नहीं मम्मी , यह तो इज्ज़त का सवाल है, मनोरम आंटी जी क्या सोचेंगी।"
वैभव अपने कमरे में गया और अलमारी का लॉकर खोल कर झटपट रुपए निकाल कर लाया, माँ के चरणों में
रखते हुए बोला, "ईश्वर का कोटिशः धन्यवाद माँ, उन्होंने ने मुझे अपनी प्यारी मम्मी की छोटी-सी सेवा करने का स्वर्णिम अवसर दिया।" माँ और पुत्र दोनों की आँखें नम हो गईं।
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पता-
ज्ञानप्रकाश 'पीयूष'
सिरसा (हरियाणा)
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कभी आँख (ग़ज़ल) - छगनराज राव

कभी आँख
(ग़ज़ल)

कभी आँख, पलकें, कभी दिल लिखा
तिरे गाल पे जो लगा तिल लिखा

मिरी जान जानू मुहब्बत सुनो
मुझे आज किसने य क़ातिल लिखा

लहरों से वो लड़कर किनारे गई
तभी तो नदी पार साहिल लिखा

इस जीवन से हारा नहीं मैं कभी
क्यों फिर मुझे तुमने ग़ाफ़िल लिखा

मुहब्बत करेगा वो कैसे भला
मिरी दोस्ती को तो मुश्किल लिखा

मैं लायक नहीं तो बता कौन है
मुझे आज किसके तू क़ाबिल लिखा

छगन ने कभी ना कहीं की ख़ता
सजा में क्यों नाम शामिल लिखा
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पता
छगनराज राव
जोधपुर (राजस्थान)
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शील का जल (लघु कथा) - अलका पाण्डेय

शील का जल
(लघु कथा)
घर में वंदन वार बँधे थे सब लोग
बरात के अगवानी की तैयारी में लगे थे सशुन की सहेलिया सगुन को तैयार कर रही थी और माँ कह रही थी बहुत सुंदर श्रृगांर करना मेरी लाडो का ,
सगुन माँ मैं इतने गहने नहीं पहनूँगी व आँखों में काजल लगाने को मत कहना न न लाडो आज तो तुझे काजल लगाना पड़ेगा ताकी शील का जल तेरी आँखों में हमेशा रहे अब तुम पराई हो रही हो बहुत सी आदतें बदली होगी
जैसे , माँ बताओ हम लडकीयों को सारी बंदीशे , लड़कों को क्यों नहीं ?
लाडो नाराज़ मत हो , हम औरते घर की लाज होती है
बेदी लगाई है इसका मतलब होता है आज से शरारत बंद और सूर्य की तरह प्रकाशवान बनना होगा !
माँ यह नथ क्यो ?
बेटा नथ का मतलब आज से किसी की बुराई नहीं मन को लगाम लगाकर रखना है !
लाडो यह टीका तुम्हारे यश का प्रतिक है तुम्हें दो घरों की मान मर्यादा का ख़्याल करना है पति व पिता के घर की लाज तुम्ही से है ।
हाँ हाँ सारी इज़्ज़त मेरे सर माँ तो वे नवाब क्या करेंगे उनकी कोई जवाब दारी नही
लड़की के हर गहने हर श्रृगार में घर की मर्यादा व त्याग की सिख है । तो लड़कों का क्या माँ ?
माँ क्या यह हार में भी संदेश है
हाँ। लाडो यह नौलखा हार का मतलब पति से हमेशा हार स्वीकारना , कड़े का अर्थ की कठोर नहीं बोलना ,
माँ बस न ये हार पहना है न ये कड़े मैं किसी की ग़ुलाम नहीं आधीन नही , मैं मेरे अस्तित्व के साथ ज़िंदा रहूँगी ,
माँ क्या सुहागन का कोई श्रृगार अपने लिये भी समाज ने बनाया है , या सब पति की कामना के लिये .....लाडो उल्टी बातें न कर आज से तुम पति की परछाई हो हमेशा उनके सुख दुख में साथ रहना है तुम उनकी अर्धागनि हो
उनके बिना तुम अधूरी हो
बस माँ बंद करो यह उपदेश मुझे शादी नहीं करनी ....
लाडो क्या अशुभ बोले है दरवाज़े पर बरात आ गई है , लोग क्या कहेंगे .....
माँ तुम पहले वचन दो यदी मेरे पति व ससुराल वालो नेमुझे सताया तो मैं बेकार की बातें सहन नहीं करुगी ......वापस आ जाऊगी
हाँ बेटा मैं मेरे बेटे को निकाल दूगी घर से अरे सासू माँ आप
यहाँ
हाँ मैंने सोचा तुम्हें मिल लू यहाँ आई तो तुम्हारी माता जी की कुछ बातें मेरे कानों में पड़ी और छिप कर सुनने लगी
ये सारी बातें तो मुझे भी पता नहीं थी जिस घर में माँ बेटी को इतनी बारीकी से हर बात समझाये उस घर की बेटी कभी ग़लत न करेगी न ग़लत बर्दाश्त करेगी ।
मैं बहुत ख़ुश हूँ तुम मेरी बहू नहीं बेटी बन रही हो । मुझे आज सारे जहां की ख़ुशी मिल गई ...

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स्थाई पता
अलका पाण्डेय
नवी मुंबई (महाराष्ट्र)
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जीत (कविता) - शिप्रा खरे

जीत
(कविता)
धोखे के बदले
नहीं मिलता है यश
ना ही कीर्ति
बल्कि बदले में मिलता है
कभी ना खत्म होने वाला
अपराध बोध और ग्लानि
जो चैन नहीं लेने देता है तुमको
किसी की मासूमियत से खेलना
बेचैन किए रहता है तुमको
भले ही ठहाकों पर तुमने
अपना अधिकार जमा रखा हो
लेकिन हँसी का खोखलापन
तुम चाह कर भी छुपा नहीं पाते हो
वर्चस्व की प्रतिद्वंदता में
तुम अपनी जीत नहीं पचा पाते हो
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पता- 
शिप्रा खरे
लखीमपुर (उत्तरप्रदेश)
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