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Monday, 25 November 2019

शील का जल (लघु कथा) - अलका पाण्डेय

शील का जल
(लघु कथा)
घर में वंदन वार बँधे थे सब लोग
बरात के अगवानी की तैयारी में लगे थे सशुन की सहेलिया सगुन को तैयार कर रही थी और माँ कह रही थी बहुत सुंदर श्रृगांर करना मेरी लाडो का ,
सगुन माँ मैं इतने गहने नहीं पहनूँगी व आँखों में काजल लगाने को मत कहना न न लाडो आज तो तुझे काजल लगाना पड़ेगा ताकी शील का जल तेरी आँखों में हमेशा रहे अब तुम पराई हो रही हो बहुत सी आदतें बदली होगी
जैसे , माँ बताओ हम लडकीयों को सारी बंदीशे , लड़कों को क्यों नहीं ?
लाडो नाराज़ मत हो , हम औरते घर की लाज होती है
बेदी लगाई है इसका मतलब होता है आज से शरारत बंद और सूर्य की तरह प्रकाशवान बनना होगा !
माँ यह नथ क्यो ?
बेटा नथ का मतलब आज से किसी की बुराई नहीं मन को लगाम लगाकर रखना है !
लाडो यह टीका तुम्हारे यश का प्रतिक है तुम्हें दो घरों की मान मर्यादा का ख़्याल करना है पति व पिता के घर की लाज तुम्ही से है ।
हाँ हाँ सारी इज़्ज़त मेरे सर माँ तो वे नवाब क्या करेंगे उनकी कोई जवाब दारी नही
लड़की के हर गहने हर श्रृगार में घर की मर्यादा व त्याग की सिख है । तो लड़कों का क्या माँ ?
माँ क्या यह हार में भी संदेश है
हाँ। लाडो यह नौलखा हार का मतलब पति से हमेशा हार स्वीकारना , कड़े का अर्थ की कठोर नहीं बोलना ,
माँ बस न ये हार पहना है न ये कड़े मैं किसी की ग़ुलाम नहीं आधीन नही , मैं मेरे अस्तित्व के साथ ज़िंदा रहूँगी ,
माँ क्या सुहागन का कोई श्रृगार अपने लिये भी समाज ने बनाया है , या सब पति की कामना के लिये .....लाडो उल्टी बातें न कर आज से तुम पति की परछाई हो हमेशा उनके सुख दुख में साथ रहना है तुम उनकी अर्धागनि हो
उनके बिना तुम अधूरी हो
बस माँ बंद करो यह उपदेश मुझे शादी नहीं करनी ....
लाडो क्या अशुभ बोले है दरवाज़े पर बरात आ गई है , लोग क्या कहेंगे .....
माँ तुम पहले वचन दो यदी मेरे पति व ससुराल वालो नेमुझे सताया तो मैं बेकार की बातें सहन नहीं करुगी ......वापस आ जाऊगी
हाँ बेटा मैं मेरे बेटे को निकाल दूगी घर से अरे सासू माँ आप
यहाँ
हाँ मैंने सोचा तुम्हें मिल लू यहाँ आई तो तुम्हारी माता जी की कुछ बातें मेरे कानों में पड़ी और छिप कर सुनने लगी
ये सारी बातें तो मुझे भी पता नहीं थी जिस घर में माँ बेटी को इतनी बारीकी से हर बात समझाये उस घर की बेटी कभी ग़लत न करेगी न ग़लत बर्दाश्त करेगी ।
मैं बहुत ख़ुश हूँ तुम मेरी बहू नहीं बेटी बन रही हो । मुझे आज सारे जहां की ख़ुशी मिल गई ...

-०-
स्थाई पता
अलका पाण्डेय
नवी मुंबई (महाराष्ट्र)
-०-

***
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