कभी आँख
(ग़ज़ल)
कभी आँख, पलकें, कभी दिल लिखा
तिरे गाल पे जो लगा तिल लिखा
मिरी जान जानू मुहब्बत सुनो
मुझे आज किसने य क़ातिल लिखा
लहरों से वो लड़कर किनारे गई
तभी तो नदी पार साहिल लिखा
इस जीवन से हारा नहीं मैं कभी
क्यों फिर मुझे तुमने ग़ाफ़िल लिखा
मुहब्बत करेगा वो कैसे भला
मिरी दोस्ती को तो मुश्किल लिखा
मैं लायक नहीं तो बता कौन है
मुझे आज किसके तू क़ाबिल लिखा
छगन ने कभी ना कहीं की ख़ता
सजा में क्यों नाम शामिल लिखा
-०-
पता
छगनराज रावपता
जोधपुर (राजस्थान)
-०-
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