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Sunday, 15 November 2020

माह अक्तूबर २०२० के सृजन शिल्पी सम्मान

  सृजन महोत्सव पटल की माह सितंबर २०२० की उत्कृष्ट रचनाएँ 

               आप सभी को बताते हुए हर्ष हो रहा है कि सृजन महोत्सव पटल पर आज तक ३२५ से अधिक साहित्यकार एवं उनकी लगभग १३०० से भी अधिक रचनाएँ प्रकाशित की जा चुकी है. सभी रचनाकारों की विभिन्न विधाओं में प्रेषित और इस पटल पर प्रकाशित रचनाएं मौलिक एवं स्तरीय है, इसमें कोई दोराय नहीं है. आप सभी सृजन धर्मियों का बहुत ही अच्छा प्रतिसाद, स्नेह और प्रेम मिल रहा हैं. इसके चलते आज तक लगभग ५६,००० से भी अधिक  लोगों ने इस पटल को भेट दी है.
              आज सृजन महोत्सव पटल के माह अक्तूबर २०२० की सर्वाधिक पसंदीदा गद्य और पद्य विधा की सर्वाधिक पसंदीदा रचनाकार को सृजन महोत्सव परिवार की ओर से प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया जा रहा है. वह निम्न हैं -


गद्य विधा में भारत वर्ष के
बालोद, छत्तीसगढ़ के
दिनेंद्र दास जी की लघुकथा 'तोहफा' पर
'गद्य सृजन शिल्पी' 
सम्मान से 
सम्मानित करते हुए तथा
सम्मान पत्र सपूर्द करते हुए हर्ष हो रहा हैं.
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-०-
पद्य विधा में भारत वर्ष के 
जयपुर राजस्थान की
निधि शर्मा जी की कविता  
'मत सोचो' पर
'पद्य सृजन शिल्पी'
सम्मान से 
से सम्मानित करते हुए तथा
 सम्मान पत्र सपूर्द करते हुए हर्ष हो रहा हैं. 


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दोनों सृजन शिल्पियों का एवं हमारे साथ जुड़े सभी साहित्यकर्मियों का
हार्दिक आभिनंदन !!!



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बैड टच (लघुकथा) - बजरंगी लाल यादव

  

बैड टच
(लघुकथा)
   आज सारा शहर दीपक की रोशनी से जगमगा रहा था। मुहल्ले के सभी बच्चे पटाखे, फुलझड़ी, चकरी और मोमबत्ती जलाने में मसरूफ़ थे। मगर, मुन्नी अपने घर के चौखट पर बैठी बाजार से माँ के लौटने का इंतजार कर रही थी। तभी शेरा अंकल ने कहा -  मुन्नी, यह लो पटाखे और चाॅकलेट। ऊउउउ...चूम्म्म्अ...! चुम्बन लेते हुए। 
- अंकल, मुझे नहीं चाहिए आपके पटाखे और  चाॅकलेट !
- क्यों, मुन्नी ?
- क्योंकि, हरदम चॉकलेट देने के बाद आप मेरे गालों पर दाँत गड़ाते हैं; तो कभी मेरे गालों को मसलते हैं। 
- मुन्नी, वो तो मैं तुमसे प्यार जताता हूँ। 
- ये प्यार नहीं, पाप है। आज तो आपने मेरे बम पर हाथ डालकर मेरे प्राइवेट पार्ट्स को छूने की कोशिश की। जबकी, ये सभी आदते ' बैड टच ' में आयेंगी। ....और इस अश्लील हरकत के लिए आपको जेल भी हो सकती है। छः साल की मुन्नी बेबी ने गन्दे शेरा अंकल का चॉकलेट वापस करते हुए कहा। तभी आकाश में एक जोरदार पटाखे का धमाका हुआ; जिससे शेरा अंकल की पैंट गीली हो गई। 
-०-
पता:
बजरंगी लाल यादव
बक्सर (बिहार)


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फिर मनाएंगे दीवाली (कविता) - अतुल पाठक 'धैर्य'

 

फिर मनाएंगे दीवाली
(कविता)
पापा जल्दी ठीक हो जाओ,
फिर मनाएंगे दीवाली।

घर को जल्दी तुम लौट आओ,
फिर मनाएंगे दीवाली।

तुम बिन घर सारा सूना है,
जैसे हो सब वीराना है।

हँसी मुस्कुराहट संग ले आओ,
फिर मनाएंगे दीवाली।

तुम बिन हम अधूरे हैं,
तुमसे ही हम पूरे हैं।

घर की रौनक दे जाओ,
फिर मनाएंगे दीवाली।

मेरी यही प्रार्थना रब से,
पापा तुम्हारा हाथ रहे हम सब के सर पे।

कुशल-मंगल तुम आ जाओ,
फिर मनाएंगे दीवाली।
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पता: 
अतुल पाठक  'धैर्य'
जनपद हाथरस (उत्तरप्रदेश)

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भाई - दूज (आलेख) - प्रेम बजाज


भाई - दूज 

(आलेख)
हिन्दुओं का सबसे बड़ा पांच दिवसीय त्योहार- धनतेरस , रूपचौदस,दिवाली, गोवर्धन या अन्न कूट और पांचवें दिन मनियां जाने वाला भाई - दूज का त्योहार। इसी के साथ दिपावली की समाप्ति ।
कार्तिक शुक्ल द्वितिया को पूरे भारत वर्ष में पर्व मनाया जाता है।
रक्षाबंधन के बाद भाई - दूज ही ऐसा पर्व है जो भाई - बहन के पवित्र रिश्ते को और मजबूत करता है , उनके अमर प्रेम को दर्शाता है। विवाहित बहने भाई को अपने घर बुला कर तिलक करती हैं और भोजन कराती हैं, और उनके उज्जवल भविष्य तथा लम्बी उम्र की कामना करती है, एंव भाई भी बहन को उपहार देता है।
ऐसी मान्यता है भगवान् सुर्य एंव छाया के पुत्र यमराज को उनकी बहन यमुना भाई से स्नेह वश अपने घर आने और भोजन करने का निवेदन किया करती थी। लेकिन यमराज वयस्त होने के कारण जा नहीं पाते थे।
कार्तिक शुक्ल द्वितिय के दिन यमराज को ‌अपने घर देखकर हर्ष विभोर हो गई, भाई का स्वागत- सत्कार किया,भोजन कराया।
भाई ने प्रसन्न होकर बहन से वर मांगने को कहा तो यमुना ने कहा कि वो हर साल आज ही के उसके घर आए और भोजन भी करें और आज ही के दिन जो विवाहिता बहन भाई को अपने  घर बुला कर तिलक और भोजन कराए भाई उसका आतिथ्य स्वीकार करे, उस भाई को कम भी आप से भय ना हो।
 यमराज ने त्थास्तु कहा और यमुना से वादा किया कि जो भाई बहन के घर तिलक कराएगा उसे स्वस्थ और समृद्ध जीवन की प्राप्ति होगी, तब से बहन भाई का ये पर्व मनाया जाने लगा ‌।
-०-

पता 

प्रेम बजाज
जगाधरी, यमुनानगर (हरियाणा)


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