पोती के जन्म पर "उद्गार"
(पद्य)
प्यारी इक पोती मिली,बनकर के उपहार ।
मौसम मुस्काने लगा,खिलने लगी बहार ।।
जीवन के ये पल मधुर,लाये खुशियां संग ।
आई देवी घर "शरद",ले चोखे-नव रंग ।।
"सिया" नाम सुकुमार का,है सचमुच वरदान ।
परम पिता की है दया,बढ़ा हमारा मान ।।
भाग्य हमारा है प्रबल,गूंजा मंगलगान ।
नाज़ुक बिटिया अंक में,मिला हमें उत्थान ।।
बिटिया की किलकारियां,बिखर रहा आशीष ।
सांईजी ने कर दिया,उन्नत सबका शीश।।
"स्वप्निल" को गरिमा मिली,पाया जो मातृत्व ।
अब "प्रतीक" हरसा रहा, फलीभूत पितृत्व ।।
बेटी घर में स्वर्ग का, कर देती निर्माण ।
बेटी से ही वंश को ,मिलते सचमुच प्राण ।।
बेटी तो है लक्ष्मी,बेटी दुर्गा-रूप ।
सरस्वती का तेज ले,देती मोहक धूप ।।
"सिया" रूप देवत्वमय, "वैदेही" अवतार ।
नया उगेगा भास्कर,होगा नव संसार ।।
सत्व,साधना,दिव्यता,होते बेटी संग ।
युग -युग घर में रोशनी,इंद्रधनुषिया रंग ।।
"शरद" और "नीलम" बने,दादू- दादी आज ।
लगता है हम पा गये,तीन लोक का राज ।।
यह देवी तो नूर है,मंगलमयी विधान ।
महकाने घर आ गई,ले खुशहाली गान ।।
फलीभूत सारी दुआ,तब पाई सौगात ।
सचमुच पोती रूप में ,है धन की बरसात ।।
चाहत अब पूरी हुई,थिरक रहे अरमान ।
"सिया" हमारी जान अब,और हर्ष सामान ।।
यही कामना हो बड़ी,ले प्रभुता निज साथ ।
मैहर वाली थामना,रखना सिर पर हाथ ।।
ख़ानदान आनंद में,हैं ऊंचे आयाम ।
'सिया' संग अब वंश को,मिलना तय,नव नाम ।।
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प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे
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