नववर्ष स्वागत
(कविता)
नवल भोर , नव किरण,
नव मेघ है नूतन धरा,
जीवन का है गीत नया ,
सुन रे मोरे मन मितवा
नव पात है नव परिधान
सरसों के खेतों की शान,
नव भोर का नव विधान
बीत गए सब वो वादे,
बीता साल बीती घडियां,
आओ आज हम जोड़े
जीवन की नव कड़ियाँ।
-०-
पूनम मिश्रा 'पूर्णिमा'
No comments:
Post a Comment