स्वच्छ भारत -स्वस्थ भारत
(कविता)
तन भी हो सुन्दर
मन भी हो सुन्दर
जन जन अब कहेगा
भारत भी हो सुन्दर ।
घर- आँगन का कचरा
गली -सड़क पर न फैंके
घर - घर हो कचरा पात्र
तब हो घर - गली सुन्दर ।
स्चच्छ स्कूल-कॉलेज हों
घर-बाजार भी स्वच्छ हों
पहले हम सब जाने समझें
तब गांव - नगर बने सुंदर ।
खुले में क्यों हम सोच करें
शौचालय का उपयोग करें
स्वच्छता के संकल्प से ही
आचार विचार भी हो सुन्दर ।
स्वच्छ भारत - स्वस्थ भारत
ये सोच हम हम सब की हो
सफाई जहां देव भी बसे वहां
स्वच्छ भारत हो स्वर्ग से सुन्दर ।
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