हमसफ़र
(कविता)
चली थी अकेली मैं जीवन यात्रा में ,
मिल गया रास्ते में मुझे प्यारा हमसफ़र ।
थके-हारे कदम रुकनेवाले ही थे ,
मिला दिया तूने अपना कदम हमसफ़र ।
खौफ-तमस भरी जीवन गलियारे में ,
प्रकाश-दीप तूने जलाया हमसफ़र ।
संघर्ष,तनाव,हताशा के गरकाब में ,
हौसले की उड़ान तूने भर दी हमसफ़र ।
लक्ष्यहीन जीवन पथ की दिशा में ,
मंजिल की सीढ़ियाँ तू बना हमसफ़र ।
भावशून्य नीरस मेरे जीवन में ,
अमृत सा रसपान तूने पिलाया हमसफ़र ।
विषाक्त,कटु, व्यर्थ मेरे जीवन में ,
मधु वाणी का शृँगार तूने किया हमसफ़र ।
निष्ठुर, अज्ञान, अशिष्ट व्यवहार में ,
संवेदना, ज्ञान का सींचन तूने किया हमसफ़र ।
डूबी मैं उद्दंडता,अविवेक के गरुर में ,
शील,विनय की नाव में तूने बिठाया हमसफ़र।
मेरे कँटीला सा वीरान जीवन वन में ,
खिलता-महकता उद्यान तू बना हमसफ़र ।
जीवन मांगल्य का तू है मेरा सौभाग्य ,
जन्म जन्म का जीवन साथी तू मेरे हमसफ़र ।
प्रभु ! करो शृँगार मेरी ह्रदय वाणी का ।
हर हाल में साथ निभाये हम हमसफ़र ।।
चली थी अकेली मैं जीवन यात्रा में ,
मिल गया रास्ते में मुझे प्यारा हमसफ़र ।
थके-हारे कदम रुकनेवाले ही थे ,
मिला दिया तूने अपना कदम हमसफ़र ।
खौफ-तमस भरी जीवन गलियारे में ,
प्रकाश-दीप तूने जलाया हमसफ़र ।
संघर्ष,तनाव,हताशा के गरकाब में ,
हौसले की उड़ान तूने भर दी हमसफ़र ।
लक्ष्यहीन जीवन पथ की दिशा में ,
मंजिल की सीढ़ियाँ तू बना हमसफ़र ।
भावशून्य नीरस मेरे जीवन में ,
अमृत सा रसपान तूने पिलाया हमसफ़र ।
विषाक्त,कटु, व्यर्थ मेरे जीवन में ,
मधु वाणी का शृँगार तूने किया हमसफ़र ।
निष्ठुर, अज्ञान, अशिष्ट व्यवहार में ,
संवेदना, ज्ञान का सींचन तूने किया हमसफ़र ।
डूबी मैं उद्दंडता,अविवेक के गरुर में ,
शील,विनय की नाव में तूने बिठाया हमसफ़र।
मेरे कँटीला सा वीरान जीवन वन में ,
खिलता-महकता उद्यान तू बना हमसफ़र ।
जीवन मांगल्य का तू है मेरा सौभाग्य ,
जन्म जन्म का जीवन साथी तू मेरे हमसफ़र ।
प्रभु ! करो शृँगार मेरी ह्रदय वाणी का ।
हर हाल में साथ निभाये हम हमसफ़र ।।
-०-
No comments:
Post a Comment