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Saturday, 18 January 2020

तुम्हारी ज़ुल्फ़ की (ग़ज़ल) - डा जियाउर रहमान जाफरी

धरती ला दो 
(ग़ज़ल)
हमारे अपने सारे भाइयों में
हमारा नाम है दंगाइयों में

सभी नफ़रत मुझे करने लगेंगे
अगर जीते रहे रुस्वाइयों में

क़दम रखना ज़रा तुम भी संभलकर
बहुत से गिर गये हैं खाइयों में

ज़मीं को छोड़ कर हम आ गये हैं
मज़ा कुछ भी नहीं ऊचाइयों में

ग़ज़ल तो आजतक सोती रही है
तुम्हारी ज़ुल्फ़ की परछाइयों में
-0-
डा जियाउर रहमान जाफरी
नालंदा (बिहार)
-०-



***
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