हेलमेट
(लघुकथा)
विगत दो महीने से शहर के दुपहिया वाहन चालक पुलिस द्वारा हेलमेट की अनिवार्यता को लेकर बहुत परेशान रहे। करीब आधे वाहन चालकों ने जुर्माना भरा और हेलमेट भी खरीदा। कुछ ने शहर आना- जाना ही बंद कर दिया। कुछ चौराहों से बचकर दूर से निकलते। इस बीच जनता के अनेक संगठनों ने शहर की आबादी व भौगोलिक स्वरूप को देखते हुए हेलमेट की अनिवार्यता में छूट देने की मांग की मगर तत्काल कोई लाभ नहीं हुआ।कुछ दिनों में पुलिस का हेलमेट हिमायती अभियान अब ठंडा पड़ चुका है। एक पत्रकार ट्रैफिक पुलिस के अधिकारी से मिला और पूछा -'क्या हेलमेट पहनने का अभियान अब समाप्त हो गया है ?'
अधिकारी- 'हां, हर अभियान का एक निश्चित समय एवं लक्ष्य होता है।'
पत्रकार- 'क्या इस अभियान के लक्ष्य की पूर्ति हो गई है ?'
अधिकारी- 'हां, इस अभियान के दो लक्ष्य थे। पहला जुर्माने के रूप में बीस लाख रुपए का सरकारी कोष में संग्रहण तथा दूसरा दो हजार हेलमेट की बिक्री से एक लाख रुपए का कमीशन । हमने दोनों ही लक्ष्य शत-प्रतिशत प्राप्त कर लिए हैं।'
पत्रकार-'आपको लक्ष्य की सफलता के लिए बधाई!'
अधिकारी-' वह तो ठीक है मगर यह सब अखबार में छाप मत देना। यह ऑफ द रिकॉर्ड है।' पत्रकार ने एक मुस्कान के साथ विदाई ली।
-०-
पता-
प्रकाश तातेड़
उदयपुर(राजस्थान)
-०-
Very nice sir
ReplyDeleteThis is real condition of our cities
धन्यवाद बंधुवर।
DeleteWaah kya baat kahi
ReplyDeleteधन्यवाद।
Delete