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Monday, 9 December 2019

बलात्कारियों को हमे खुद सजा देनी चाहिए (आलेख) - सुरेश शर्मा

बलात्कारियों को हमे खुद सजा देनी चाहिए
(आलेख)
हमारे देश की यह बहुत बड़ी विडम्बना है कि, जुर्म औ
जुल्म दोनो ही बहुत आसानी से किये जाते है । 

जैसे कि बलात्कार ! आज यह आम बात हो गई है । हर रोज हमे सुनने को मिल ही जाता है कि आज उस शहर मे कुछ लोगों ने मिलकर एक छोटी लड़की के साथ बलात्कार किया । आज उस शहर मे सामुहिक बलात्कार हुआ । जैसे कोई जघन्य अपराध नही बल्कि एक आम बात हो गई हो।

घटना होने के बाद कुछ आवाज़े उठती है ।शोक और शांति के लिए मोमबत्तियां जलाकर शान्ति मार्च निकाले जाते है और फिर आवाज या तो दब जाती है या फिर दबा दिये जाते है । हमारी पुलिस मुजरिमों को पकड़ती है, उनपर मुकदमा चलाया जाता है; जबतक फैसला जनता के सामने आता है तब तक कई महीने और साल बीत जाते है । लोग धीरे-धीरे उस घटना को भूल जाते है और फिर आवाज भी दब जाती है । 

नतीजा ! आज हम देश की जनता कानून व्यवस्था और अपनी देश की प्रशासन प्रणाली पर से आहिस्ता-आहिस्ता विश्वास खोते जा रहे है । 

आये दिन देश के विभिन्न प्रान्तो से विभिन्न तरह की अप्रिय घटनाओं की खबरे आती रहती है । जैसे हिंसा, हत्या , रक्तपात , आगजनी, सड़क दुर्घटना ,अगुवा ,बच्चे की चोरी,फांसी, गाड़ियों की चोरी इत्यादि । इनमे से सबसे घिनौनी और जघन्य अपराध है बलात्कार । हा ! बलात्कार !
क्या हमारे देश मे बलात्कारियों को उचित दण्ड मिलता है ? 
बलात्कारी पकड़े जाते है ,बा-इज्जत उसको जेल मे लाखो रूपये खर्च करके देखभाल की जाती है । और फिर हमारे देश की लचकदार कानून व्यवस्था की वजह से कुछ दिन बाद उसे छोड़ दिया जाता है ।

क्या हमारे देश मे कोई ऐसी कानून नही बनाई जा सकती जिससे कि ऐसा घिनौना और जघन्य काम करने से पहले इनकी रूह तक कांप उठे । और भविष्य मे दूसरे लोग भी ऐसा घिनौना काम करने की जुर्रत ना कर सके ।
बलात्कार ! आज के सभ्य और सुशिक्षित समाज के लिए एक बदनुमा दाग है । घोर कलंक है हमारे समाज के लिए ।

आज हम अपनी बेटियों को घर से बाहर अकेले भेजने से डरते है । शाम होते ही हमे यह चिन्ता सताने लगती है कि 
हमारी बच्चियां सही सलामत घर कब पहुचे । आखिर चिंता हो भी ना क्यों , क्योंकि आज घर के बाहर हर गली चौराहे पर खूंखार भेड़िये मंडराते रहते है कि कब कोई मासूम बच्ची घर से बाहर अकेले निकले और उसे दबोचकर अपना शिकार बना ले ।

आखिर कब तक हम अपनी बच्चियों को इस तरह दरिन्दो के डर से घर मे छुपाकर रखेंगे? 

क्या हम खुद सुरक्षित नही रख सकते अपनी बच्चियों को ? क्या आज हमारा समाज इतना ही कमजोर हो गया है कि हम इन बलात्कारी दरिन्दो से अपनी बहू, बेटी और बहनो को सुरक्षित नही रख सकते ?

अब हमे फिर से इतिहास दोहराने की जरूरत है ।आज हमारी मा, बहनो और बेटियों को अबला नही सबला बनना होगा । अंग्रेजो के समक्ष सीना तानकर मुकाबला करके उनके छक्के छुड़ाने वाली वीरांगनाओ लक्ष्मी बाई, सरोजिनी नायडू और कलकत्ता बरूआ की तरह इन बलात्कारी दरिन्दो के जहरीले फन को कुचलना होगा ।

ऐसे जघन्य अपराध करने वाले बलात्कारी दरिन्दो को नारियां खुद अपने हाथो से कठोर से कठोर दण्ड देकर सबक सिखाए ताकि फिर कभी ऐसी घिनौनी हरकत करने से पहले इनकी रूह तक कांप उठे । 

आज हमे हमारी सुरक्षा खुद करनी होगी । ऐसे जघन्य और अमानवीय घटना को अंजाम देने वाले को सामुहिक सजा देने की व्यवस्था हमे खुद अपने हाथो करनी चाहिए ।
-०-
सुरेश शर्मा
गुवाहाटी, जिला कामरूप (आसाम)
-०-

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1 comment:

  1. सुरेश शर्मा जी का आलेख चिंतन मंथन योग्य है। हाल ही में हैदराबाद में हुए पुलिस एनकाऊंटर का भी समर्थन करने का मन करता है। शर्मा जी का आलेख प्रशंसनीय , अभिनंदनीय, अनुकरणीय और वंदनीय है।

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