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Saturday, 31 October 2020

स्पर्श (कविता) - सुशांत सुप्रिय

स्पर्श
(कविता)
धूल भरी पुरानी किताब के
उस पन्ने में
बरसों की गहरी नींद सोया
एक नायक जाग जाता है
जब एक बच्चे की मासूम उँगलियाँ
लाइब्रेरी में खोलती हैं वह पन्ना
जहाँ एक पीला पड़ चुका
बुक-मार्क पड़ा था

उस नाज़ुक स्पर्श के मद्धिम उजाले में
बरसों से रुकी हुई एक अधूरी कहानी
फिर चल निकलती है
पूरी होने के लिए

पृष्ठों की दुनिया के सभी
अपनी देह पर उग आए
खर-पतवार हटा कर

जैसे किसी भोले-भाले स्पर्श से
मुक्त हो कर उड़ने के लिए
फिर से जाग जाते हैं
पत्थर बन गए सभी शापित देव-दूत
जैसे जाग जाती है
हर कथा की अहिल्या
अपने राम का स्पर्श पा कर
-०-
पता:
सुशांत सुप्रिय
ग़ाज़ियाबाद (उत्तरप्रदेश)

-०-



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1 comment:

  1. बाह! हार्दिक बधाई है आदरणीय सुन्दर रचना के लिये।

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