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Sunday, 26 January 2020

★★ एकता की पहचान ★★ (कविता) - अलका 'सोनी'



★★ एकता की पहचान ★★
(कविता)
जन में, गण में, मन में बसे
कोटि -कोटि नमन में बसे
करती हूं वंदना मां भारती
तू हर हृदय और वर्ण में बसे।

मुश्किलों से पायी है आज़ादी
देकर कुर्बानियां आयी है आज़ादी
सांस तक मैं वार दूँ चरणों में तेरे
नई पहचान दिलायी है आज़ादी

हम सभी माँ भारती की संतान हैं
इस बात से फिर भी अनजान हैं
बढ़ रही है फूट जाने क्यों यहां
एकता ही रही जिसकी पहचान है।
-०-
अलका 'सोनी'
बर्नपुर- मधुपुर (झारखंड)

-०-

***
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3 comments:

  1. अंजलि गोयल26 January 2020 at 07:58

    बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  2. कविता को प्रकाशित करने के लिए हार्दिक आभार....💐💐

    ReplyDelete

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