आओ एकता का डोर बुने
(कविता)
राष्ट्र हमारी माता है
आओ मिलकर हम
गुणगान करे ।
जिसने हमको है
जन्म दिया
आओ हम उनको
तैयार करे ।
उनके आंगन के बगिया में
हम रंग-बिरंगे फूल रोपे
गंदगी और विकारों से
आओ धरती हम
स्वच्छ करे ।
सुन्दर , सुदृढ भविष्यो का
आओ हम
उत्थान करे ।
गरिब-कमजोर,नारी अत्यारों को
आओ मिलकर
सब दूर करे।
मानव केा मानवभय त्रासों से
अपनी धरती को
मुक्त करे ।
स्वतन्त्र -सहयोग की भावना से
राष्ट्र अपना सिंचित करे।
संविधान दिवस अमर रहे
हर नागरिक नियम
पालन करे।
भारत-नेपाक के अटूट मित्रता की
आओ मिलकर हम गीत गायें
धरती पर संतती सब मिलकर
राष्ट्र माता का हम
गान करे ।
सुन्दर राष्ट्र निर्माणो का
हर संतती का
कर्तव्य बने ।
26 जनवरी अमर रहे
आओ मिलकर जयकार करे
राष्ट्र के नन्हे-मुन्हे मिलकर
अपनी मां को खुब साजे
आओ हम एकता का डोर बुने।-०-
संगीता ठाकुर
ललितपुर (काठमांडू - नेपाल)
बहुत बहुत धन्यवाद है सृजनमहोत्सव संपादक मंडल को मेरी कविता को प्रकाशित करने के लिये। गणतन्त्र दिवस अमर रहे, अशेश शुभकामना है आँप सब को।
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