आँख मेरी भर आती है
(कविता)
मेरे देश की माटी से खुशबू
वीरों के लहू की आती है
कुछ जयचंदों की मक्कारी की
बातें हमें सुनाती है
आजादी की गाथा माँ
जब रो रो हमें बताती है
तब वीर शहीदों की यादों में
आंख मेरी भर आती है
अशफाक अली, मंगल पांडे
आजाद, बोस बिस्मिल भाई
राजगुरु, सुखदेव, भगत सिंह
ने हँस-हँस फांसी खायी
जब जलिया वाले बाग की माँ
मुझको याद दिलाती है
तब वीर शहीदों ...
नन्हें -नन्हें बच्चे जब
नारा 'जय हिंद ' लगाते हैं
सुन देश भक्ति के गाने सुंदर
सीने उमड़े जाते हैं
झूमने लगता है अंबर
और धरती भी मुस्काती है
तब वीर शहीदों ...
जब बिटिया की शहनाई बजे
बिन बापू के डोली जाए
बिन चूड़ी बिंदी बिछुए पायल
मन रोए पर मुस्काए
देख वेदना ह्रदय की
दुनिया शीश नवाती है
तब वीर शहीदों ...
मेरे घर में रोज दिवाली है
वो सीमा पर खेलें होली
यूँ सीने पर झेलें गोली
ना मिटे किसी की रंगोली
ओढ़ चुनरिया तिरंगी
जब दुल्हन सी इठलाती है
मेरे देश की माटी से खुशबू
वीरों के लहू की आती है
कुछ जयचंदों की मक्कारी की
बातें हमें सुनाती है
आजादी की गाथा माँ
जब रो रो हमें बताती है
तब वीर शहीदों की यादों में
आंख मेरी भर आती है
अशफाक अली, मंगल पांडे
आजाद, बोस बिस्मिल भाई
राजगुरु, सुखदेव, भगत सिंह
ने हँस-हँस फांसी खायी
जब जलिया वाले बाग की माँ
मुझको याद दिलाती है
तब वीर शहीदों ...
नन्हें -नन्हें बच्चे जब
नारा 'जय हिंद ' लगाते हैं
सुन देश भक्ति के गाने सुंदर
सीने उमड़े जाते हैं
झूमने लगता है अंबर
और धरती भी मुस्काती है
तब वीर शहीदों ...
जब बिटिया की शहनाई बजे
बिन बापू के डोली जाए
बिन चूड़ी बिंदी बिछुए पायल
मन रोए पर मुस्काए
देख वेदना ह्रदय की
दुनिया शीश नवाती है
तब वीर शहीदों ...
मेरे घर में रोज दिवाली है
वो सीमा पर खेलें होली
यूँ सीने पर झेलें गोली
ना मिटे किसी की रंगोली
ओढ़ चुनरिया तिरंगी
जब दुल्हन सी इठलाती है
Bahut marmik kavita
ReplyDeleteहार्दिक आभार
DeleteSundar geet
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteहार्दिक आभार
DeleteBeautiful
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Delete👌bahot achi
ReplyDeleteभावपूर्ण ,देश प्रेम से ओतप्रोत रचना।बधाई
ReplyDeleteदेश प्रेम से ओतप्रोत रचना।
ReplyDeleteअच्छा लिखा है।
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