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Sunday, 26 January 2020

भाईचारा (कविता) - डॉ . भावना नानजीभाई सावलिया





भाईचारा
      (कविता)
विविधता में एकता ही
देश का प्यारा है नारा ,
विश्व बंधुत्व की भावना में है
हमारा न्यारा भाईचारा ।
जाति- पाँति, ऊँच-नीच,
धर्म-संप्रदाय का जहाँ नहीं बँटवारा ,
भावात्मक एकता में ही
अखण्ड भारत का है भाईचारा ।
देखो, देश की सरहद पर
आत्मीयता का सुन्दर मंदिर !
नहीं कोई अपना-पराया
वहाँ बेमिसाल है भाईचारा ।
अपनत्व का सम्बन्ध
संसार में है सबसे न्यारा ,
मानव जीवन की अनमोल
पूँजी है प्यारा भाईचारा !
छोटे-बड़े प्रसंगों को
उठाते हैं अपने कंधों पर ,
कर्त्तव्य-निष्ठा का धर्म
निभाता है जग में भाईचारा ।
संघर्षी झंझावात, दुश्मनों के
हमले के रक्षक हमारा ,
तन-मन से देश को
समर्पित है हमारा भाईचारा ।
प्रेम के बोल, उष्मा सा स्पर्श
करते हैं तन में रक्त संचार ,
सुख-दु:ख की जड़ी बूटी सा है
स्वस्थ जीवन भाईचारा ।
मंजिल प्राप्ति की सक्षम
आँख व पाँख का है जीवनाधार ,
टूटे मनोबल के हौसले की
उम्मीदें हैं भाईचारा ।
"कैसे हो दोस्त ! चिन्ता न करो,
हम साथ साथ हैं यार !"
सुन के पुलकित होता मन
जो जीवन उर्जा है भाईचारा ।
शिवमय कर्म,त्याग,समर्पण का
ताज है सिर पर ,
शौर्य,ऐक्य बंधुत्व का
नाज है भाईचारा ।
ईश्वर खजाने की है ज्योति,
पींड, रक्त एक ही प्रकार !
फिर भी क्यों उलझे दंगे-फसाद में
भूल के हम भाईचारा !!
-०-
पता:
डॉ . भावना नानजीभाई सावलिया
सौराष्ट्र (गुजरात)

-०-

***
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