(कविता)
भारत देश की शान तिरंगा भारतीयों की पहचान तिरंगा
भारत मां के वीर सपूतों तुमसे ही लहराया अपना तिरंगा
जो लड़ते तुम ना देश के लिए प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में भारत के
आज सांस ले रहे आजादी की कभी ना ले पाते भारत में
आज तो इंसानियत खत्म हो चुकी मासूमो की जान पे आ पड़ी
बच्चे औरतें कोई सुरक्षित नहीं नरभक्षी भेड़ियों की तादाद बढ़ी
आप ही हमको बचा सकते हो देश में सुख शांति ला सकते हो
शक्ति स्फूर्ति आपमें इतनी की,कि परिवर्तन क्रांति ला सकते हो
जैसे आजादी के लिए वीरों ने अपनी जान की बाजी लगा दी
आज भी उरी कारगिल और वामा में शहीदों ने अपनी जान गंवा दी
तुम रहते हो सरहद पे डटे तो देश में शांति स्थापित रहती
बाहरी शत्रु से रक्षा होती और देश की संपदा सुरक्षित रहती
स्वस्थ रहो प्रसन्न रहो कर्मयोग में यूं ही आसक्त रहो
है हम सब की दुआ यही कि देशसेवा में उन्मुक्त रहो
अव्यवस्थाओं और विषमताओं से लिप्त पड़ा है आज देश हमारा
अंदर बाहर से ध्वस्त त्रस्त निर्जन बीहड़ सा स्वदेश हमारा
राष्ट्र का गौरव हांथ आपके देश का इब क्या करना है
घिसी पिटी जर्जर परंपरा को रखना या राष्ट्र नया गढना है
खुदी को मिटा कर जो आप वीरों हम पे ये एहसान करते हैं
जान की अपनी परवाह ना करके हम पे जो जां कुर्बान करते हैं
आज सोचती हूं मैं कि कहीं से फिर कोई भगतसिंह गरजे मूछो पे ताव देकर
वीर नारायण और मंगल पांडे सा कोई तो विद्रोह करें गलत बात पर
धन्य धन्य भारत की मिट्टी जिसने इन जांबाजों को जन्म दिया
महा धन्य वो जन्मदात्रियां जिनसे ऐसे रत्नों का उदय हुआ
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