(कविता)
मुझे मेरा वतन प्यारातिरंगा मेरी शान है।
मैं हिन्द वाला हूँ मतवाला।
वतन मेरा हिंदुस्तान है।
अमर श्रद्धा,अमर नाता
देश मेरा मेरी माता
हिमालय को पिता कहता
गँगा को समझूँ मैं माता
इनकी पूजा करती हूँ मैं
ये मेरे भगवान हैं।
उत्तर हो या दक्षिण हो
पूरब हो या पश्चिम हो
हो कोई वो अपना है।
हिन्दू हो या मस्लिम हो
गँगा-जमुनी सभ्यता
ये मेरी पहचान है।
कोई ऊँचा न कोई नीचा
नहीं रंग भेद जाति यहाँ
अलग भाषा अलग बोली
मनाते कई त्योहार यहाँ।
अलग-अलग गुलों से सजता
मेरा गुलिस्तान है।
-०-
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