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Wednesday, 9 September 2020

हो रहा आजकल (ग़ज़ल) - मोहम्मद मुमताज़ हसन


हो रहा आजकल
(ग़ज़ल)
हो रहा आजकल इंसान का सौदा
हक - हक़ूक़ और ईमान का सौदा

जंग इंसाफ़ की हम रह गए लड़ते
कर लिया उसने हुक्मरान का सौदा

खूब सियासत चमका रहा था अपनी
करके वो अम्नो- अमान का सौदा

आदतन उसने तो झुठ बोला था
वो कर गया उसकी ज़ुबान का सौदा

हो रहा है आजकल इंसान का सौदा
हक़ - हक़ूक और ईमान का सौदा_
-0-
पता:
मोहम्मद मुमताज़ हसन
गया (बिहार)

-०-

***
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