छठ मैया
(गीत)
चरणन में छठ माँ के,
कोसिया भरावण के,
दऊरा उठाई चले,
सब नर नार हो।
गंगा के घाट लगी,
भीड़ भगतन की,
देखो छठ मइया की,
महिमा अपार हो।
माथे पे सब चले दऊरा उठाई,
बबुआ, देवर, कहीं भतीजा, भाई,
सुहानी नार सजी,
बिहाने बिहाने चली,
पग में महावर लगी,
सँग भरतार हो।
जल में खड़े हो अर्घ देवन को,
उगते सूरज की पूजा करन को,
सब दिवले जलाये,
फल, पुष्पन चढाये,
माला अर्पण करे,
करो स्वीकार हो।
छठ माई पूर्ण करो इच्छाएँ सारी,
तेरी तो महिमा जग में है भारी,
अन-धन भंडार भरो,
सब को निरोग रखो,
चाही सन्तान देवो,
सुखी संसार हो।
-०-
चरणन में छठ माँ के,
कोसिया भरावण के,
दऊरा उठाई चले,
सब नर नार हो।
गंगा के घाट लगी,
भीड़ भगतन की,
देखो छठ मइया की,
महिमा अपार हो।
माथे पे सब चले दऊरा उठाई,
बबुआ, देवर, कहीं भतीजा, भाई,
सुहानी नार सजी,
बिहाने बिहाने चली,
पग में महावर लगी,
सँग भरतार हो।
जल में खड़े हो अर्घ देवन को,
उगते सूरज की पूजा करन को,
सब दिवले जलाये,
फल, पुष्पन चढाये,
माला अर्पण करे,
करो स्वीकार हो।
छठ माई पूर्ण करो इच्छाएँ सारी,
तेरी तो महिमा जग में है भारी,
अन-धन भंडार भरो,
सब को निरोग रखो,
चाही सन्तान देवो,
सुखी संसार हो।
-०-
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया (असम)
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