मौन स्वीकृति
मेरे मौन को,
तुम अत्याचार करने की
स्वीकृति मत समझना।
मौन हूं, निशब्द हूं
क्युकी रिश्तों के प्रति
सवेदंशील हूं।
सहमत होना अनिवार्य तो नहीं,
हर बार
उचित अनुचित भी तो देखना
होता है।
नहीं देता ,मेरा अंतस किसी
अनुचित बात की स्वीकृति
तो नहीं हो पाती में
स्वीकृत।
कैसे कह दू
मिथ्या को सत्य
नहीं कर पाती
बस तुम्हारी खुशी के लिए
रह जाती हूं ,मौन
पर मेरे मौन को तुम
असीमित गलत बातें
थोपने की स्वीकृति
मत समझ लेना।
मेरी व्यापक सोच को
मै, नहीं बांध पाती,
तुम्हारी छोटी सोच
के दायरे में,
ज़हर का घुट पीकर
रह जाती हूं, मौन
रिश्तों को निभाने को,
तुम्हारे हृदय में बस
जाने को,
पर फिर भी
मेरे मौन को तुम
अवांछित इच्छाएं थोपने
की , स्वीकृति मत समझना।
-०-
पता:सोनिया सैनी
जयपुर (राजस्थान)
-०-
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