हिन्दी,हिन्द का ह्रदय स्पन्दन
(कविता)
तिरंगे सी महान,एकता की पहचान, देवभाषा की संतान हिन्दी ने सदभाव खूब बढ़ाया है।
हिन्दी हिन्द का गौरव है, जिसकी सरलता और
व्यापकता ने पूरे विश्व में
परचम लहराया हैं।।
अंग्रेजी अंग्रेजी रटने वालो,तुमने स्वयं ही तो,
मातृभाषा का मान घटाया है।
क्या कभी अंग्रेजों ने,
अपने देश में,किसी भी तरह,अंग्रेजी दिवस मनाया है।।
हिन्दी,मनभावन हिन्दी,प्यारी हिन्दी, दुलारी हिन्दी, हिन्दी हिन्द की ह्रदय स्पन्दन।
आओ लिखें हिन्दी,पढ़े हिन्दी, बोलें हिन्दी,यही तो है, हिन्दी का पूर्ण अभिनन्दन।।
साहित्य,सिनेमा,सोशल मीडिया,दूरदर्शन में,
हिन्दी प्रयोग से मिट गई हैं,सब दूरियां।
हिन्दी को ह्रदय में बसा लो,अपना बना लो,फिर मिट जायेंगी,सब
मजबूरियां।।
हिन्दी है,हमारे ह्रदय की,धड़कन,ये धड़कती धड़कन,है हमारा अमिट प्यार।
हमारी हिन्दी,अब बनेगी,
सब की प्यारी हिन्दी,
हिन्दी से ही गूंजेगा, सारा संसार।।
नित नये बदलते युग में,
हिन्दी के प्रचार की,प्रसार की,सम्भावना अपार है।
फिर देखना,यही हिन्दी, जन जन का आधार है,माँ
भारती का श्रंगार है।
हिन्दी प्रतीक है,राष्ट्र की
अस्मिता की,हर दिन ही होगा,हिन्दी का मान -सम्मान।
जरूरत है इक ज़ज़्बे की,
मजबूत इरादे की,तब ही हर चुनौती का होगा सम्पूर्ण समाधान।।
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