सावन का महीना गीत
सावन के झूले पड़े साजन सजनी संग झूले
ऐसे दीवाने बने घर परिवार भूले
सावन के महीने की ऋत मतवाली
जित देखू उत् है हरियाली
प्रेम सुमन खिले साजन सजनी झुलें
सारा आलम सतरंगी हो गया
मन हर्षित तन पुलकित हो गया
ओस के मोती सजे साजन सजनी झूले
ओढ़ी धरा ने चादर हरिभरी
सावन में कृषकों की भी खुशियां बढ़ गई
सुगंधित पुष्प महके साजन सजनी संग झूले
चातुर मोर पपिहा गाए
कोयल मीठे गीत सुनाए
रिमझिम मेघ बरसे साजन सजनी झूले
सावन में पर्वो की धूम मची है गोरी के सर पे चुनर सजी है
सोलह श्रृंगार सजे साजन सजनी झूले।
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