थाम लो अब हाथ कान्हा
(रूपमाला छन्द)
बाँसुरी के सुर पुकारे ,राधिका का नाम ।
मोहना बाँके बिहारी ,साँवरे घनश्याम ।
छेड़ना है गोपियों को ,बस तुम्हारा काम ।
ताकते हो राधिका के ,रूप को अविराम।।
नाम ले कान्हा पुकारे ,बावरी दिन रैन ।
नैन में मूरत तुम्हारी ,भूल बैठी चैन ।
क्यों भला कान्हा छुपे तुम ,थाम लो अब हाथ ।
प्रीत की पुरवाइयों में ,बह चलो तुम साथ।।
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