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Tuesday 3 March 2020

चंदा के पार (कविता) - दीपिका कटरे

चंदा के पार
(कविता)
सुन - सुन, सुन - सुन,
सुन मेरे यार ,
आजा ले चलूँ मैं,
तुझे चंदा के पार।

चंदा के पार है,
एक नया संसार,
वहीँ पैं, उगेगा,
एक नया भैंसार।
वहीँ पैं करेंगे,
दिल खोलकर प्यार।

सुन - सुन ,सुन-सुन,
सुन मेरे यार।
आजा ले चलूँ मैं,
तुझे चंदा के पार।

तेरी बाँहो आकर,
बिखर जाऊँगी।
धीरे से यूँ मैं ,
सिमट जाऊँगी।
अंग अंग से मैं ,
लिपट जाऊँगी।

मैं मिट्टी,
तु बन कुम्हार।
दे - दे मुझे कोई ,
तु नया आकार।

सुन -सुन ,सुन-सुन,
सुन मेरे यार।
आजा ले चलूँ मैं,
तुझे चंदा के पार।

मैं बिजली ,
तु घट बन जा।
मेरी जुल्फों की ,
तु लट बन जा।
सँवारु तुझको,
सुबह और शाम।
आजा ले चलूँ मैं,
तुझे चंदा के पार।

सुन-सुन , सुन-सुन ,
सुन मेरे यार ।
आजा ले चलूँ मैं,
तुझे चंदा के पार।
-०-
पता:
दीपिका कटरे 
पुणे (महाराष्ट्र)

-०-

***
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