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Tuesday, 8 September 2020

माँ (कविता) - सुरेश शर्मा

माँ
(कविता)
मैं तेरे समक्ष एक तुच्छ सा तिनका ,
माँ ! कैसे करूं  मैं तेरी गुणगान ।
सारे जहां मे ढूंढा ना मिला तुमसा ,
फींका  लगा दुनिया के सारे  भगवान ।

कितना भी कष्ट और दुःख दर्द क्यों ना हो ,
माँ ! तुझे  पाकर खिल जाती  मुस्कान ।
तेरी प्यारी सी ममताभरी स्पर्श में आते हीं ,
मिट जाती है दिनभर की सारी थकान ।


तुम हो तो  जीवन में खुशियों की बौछार ,
माँ ! तुम नही तो मेरी सारी दुनिया वीरान ।
तुमसे ही जुड़ी हुई है जिन्दगी की हर विकास
तुम ही हो मेरी गुरुकुल मेरी  शिक्षण संस्थान ।
-०-
सुरेश शर्मा
गुवाहाटी,जिला कामरूप (आसाम)
-०-

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1 comment:

  1. बाह! अति सुन्दर रचना है आदरणीय आपको हार्दिक बधाई है।

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