माँ
(कविता)
मैं तेरे समक्ष एक तुच्छ सा तिनका ,
माँ ! कैसे करूं मैं तेरी गुणगान ।
सारे जहां मे ढूंढा ना मिला तुमसा ,
फींका लगा दुनिया के सारे भगवान ।
कितना भी कष्ट और दुःख दर्द क्यों ना हो ,
माँ ! तुझे पाकर खिल जाती मुस्कान ।
तेरी प्यारी सी ममताभरी स्पर्श में आते हीं ,
मिट जाती है दिनभर की सारी थकान ।
तुम हो तो जीवन में खुशियों की बौछार ,
माँ ! तुम नही तो मेरी सारी दुनिया वीरान ।
तुमसे ही जुड़ी हुई है जिन्दगी की हर विकास
तुम ही हो मेरी गुरुकुल मेरी शिक्षण संस्थान ।
-०-
बाह! अति सुन्दर रचना है आदरणीय आपको हार्दिक बधाई है।
ReplyDelete