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Monday 3 August 2020

रक्षाबंधन (कविता) - लक्ष्मी बाकेलाल यादव


रक्षाबंधन
(कविता)
भाई- बहन का इस जग में
रिश्ता बड़ा निराला है
कभी धूप तो कभी छाँव की तरह
आँगन में इनसे उजियारा है

जिस घर में हो भाई- बहन
वह घर खुशियों से भरा रहता है
प्यार- स्नेह का भूखा
नाता यह गजब अनोखा है

बड़ा भाई लगे पिता समान
छोटा दे बेटे सा सम्मान
माँ की कोख़ से ही उसने
बहन की रक्षा का भार उठाया है

हों चाहे कितने भी शिकवे-गिले
पलभर में सबकुछ भूला यह देते है
बिन बोले बताये ही इकदूजे के प्रति
अपना कर्तव्य ये निभाते हैं...
***
पता:
लक्ष्मी बाकेलाल यादव
सांगली (महाराष्ट्र)

-०-



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5 comments:

  1. अप्रतिम रचना खूप छान

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  2. This comment has been removed by the author.

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  3. आपल्या रचना थेट मनापर्यत पोहचतात

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