नववर्ष बहुत आनन्दित हो
(कविता)
यही मेरी शुभकामनाएं ,नववर्ष बहुत आनन्दित हो ।
फैला उजास हो खुशियों का ,अरु हृदय सदा प्रसन्नचित हो ।
महका -महका हो अन्तर्मन, सुरभित पल्लव चहुँ ओर खिले ।
स्वर्ण रश्मियां बाँध लड़ी जो ,ऊषा प्राची की डोर मिले ।
अभिनन्दन की नवल घड़ी में ,मंगल दीपक प्रज्ज्वलित हो
यही मेरी शुभकामनाएं ,नव वर्ष बहुत आनन्दित हो ।
पर्वत सम संकल्प अडिग हो ,धरती माता सम धीर धरो ।
नव उमंग-तरंग भीतर उभरे ,तुम नीरसता की पीर हरो ।
सब मिटा कालिमाएँ कल की ,नूतनता से उल्लासित हो ।
यही मेरी शुभकामनाएं , नव वर्ष बहुत आनन्दित हो ।
उमड़े नव जीवन की सरिता ,लहरें दृढ़ता की हों मन में ।
बादल तम छंट जाएं सभी ,झिलमिल प्रकाश हो आँगन में।
रोली,चंदन की गंध मधुर,हर पल मस्तक पर शोभित हो।
यही मेरी शुभकामनाएं , नव वर्ष बहुत आनन्दित हो ।
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